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पांचों राज्यों के चुनावी नतीजे कांग्रेस के लिए संजीवनी साबित हुए तो भाजपा के लिए चेतावनी,भाजपा की हार उन्हीं मुद्दों पर हुई जिनको लेकर केंद्र में बनाई थी सरकार ।

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पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावो के परिणाम आ चुके हैं। कांग्रेस के लिए तो ये चुनाव संजीवनी साबित हुए हैं। राजस्थान व छत्तीसगढ़ जैसे राज्य जो भाजपा के गढ़ माने जाते थे वहां स्पष्ट बहुमत हासिल करना कांग्रेस के लिए अच्छे दिनों की शुरुआत की तरह है और भाजपा के लिए चेतावनी।

राजस्थान व छत्तीसगढ़ में कांग्रेस, तेलंगाना में टीआरएस (तेलंगाना राष्ट्र समिति) और मिजोरम में एमएनएफ (मिजो नेशनल फ्रंट) की जीत राजनीतिक परिवर्तन की एक आहट की तरह है जो यह संदेश देती है कि जनता अब धर्म-जाति के मुद्दों से उठकर असल मुद्दे यानी विकास को ध्यान में रखकर मतदान कर रही है। मात्र बातों और वादों के आधार पर सरकार बनने की बात अब पुरानी होने वाली है।

यहां खास बात यह है कि भाजपा की हार उन्हीं मुद्दों पर हुई है जिनको लेकर केंद्र में भाजपा ने सरकार बनाई थी। राजस्थान, छत्तीसगढ़ व मध्यप्रदेश में भाजपा के खिलाफ यदि वोट गए हैं तो किसानों के मुद्दों, बेरोजगारी और युवाओं की समस्या हल न होना इसका एक प्रमुख कारण रहे। ध्यान रहे कि पिछला लोकसभा चुनाव में भाजपा इन्हीं मुद्दों को उछालकर सत्ता में आई थी। अब 2019 में लोकसभा चुनाव होने हैं और इन परिणामों का प्रभाव वहां पड़ना तय है। ऐसे में भाजपा किस रणनीति से चुनाव लड़ेगी, यह देखने वाला होगा।

बात करें मिजोरम की तो यहां कांग्रेस यहां सत्ता से बाहर हो गई। हालांकि यहां की हार के घाव को छत्तीसगढ़ व राजस्थान में जीत ने भर दिया। लेकिन यह कांग्रेस के लिए एक सीख की तरह है कि सत्ता मिलना और उसे बरकरार रखना दोनों बहुत अलग चीजें हैं।

तेलंगाना टीआरएस प्रमुख केसीआर (के चंद्रशेखर राव) के सिर एक बार फिर ताज सजा है। राज्य में जल्द विधानसभा चुनाव कराने का उनका दावा सफल साबित हो गया। ध्यान देने वाली बात यह है कि तेलंगाना में ये पहले विधानसभा चुनाव थे। टीआरएस की गुलाबी आंधी में राज्य की दूसरी पार्टियां धूल चाटती नजर आईं।

विधानसभा चुनावों के परिणाम भारतीय जनता पार्टी के लिए चेतावनी हैं। जैसा कि वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि यह हमारे लिए ठहराव लेने और अपना परीक्षण करने का समय है। जेटली का कथन इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि मोदी-शाह के जादू में अब वह दम नहीं रहा जो पिछले लोकसभा चुनाव में दिखा था। यह जादू लोकसभा चुनाव 2019 में कारगर साबित होता है या फेल ये तो भविष्य ही बताएगा, लेकिन अपनी स्थिति का आकलन भाजपा के लिए जरूरी है, ये साफ हो गया है।