ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खूब तारीफ की है।
उन्होंने कहा कि जब वे पहली बार लंदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले थे तो उन्हें उनकी अनोखी सूक्ष्म ऊर्जा महसूस हुई थी।
जॉनसन कहते हैं कि 2012 में लंदन के मेयर के तौर पर भारत की अपनी पहली व्यापारिक यात्रा पर FCDO ने उन्हें पीएम मोदी से न मिलने के लिए कहा था।
ऐसा इसलिए कि वे एक हिंदू राष्ट्रवादी थे। फिर भी जब वे कुछ साल बाद सिटी हॉल के बाहर उनसे पहली बार मिले तो उन्होंने मेरा हाथ उठाया और हिंदी में कुछ कहा और मुझे उनकी अनोखी सूक्ष्म ऊर्जा महसूस हुई।
जॉनसन ने अपनी किताब “अनलीशेड” में ये बातें लिखी हैं।
यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद वे भारत को रूस से दूर करने के लिए अप्रैल 2022 में भारत आए।
रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा कि उन्हें जो स्वागत मिला वह राज्य प्रायोजित बीटलमेनिया के एक सुनियोजित तांडव जैसा था।
उन्होंने कहा कि वे युद्ध के बाद भारत के पश्चिम के साथ गुटनिरपेक्षता के कारणों और भारत की रूसी हाइड्रोकार्बन पर निर्भरता को समझते हैं।
वे रूस और चीन का जिक्र करते हुए लिखते हैं, “मुझे आश्चर्य हुआ कि क्या यह बदलाव या फिर पुनर्विचार का समय नहीं था। क्या भारत वास्तव में इन तानाशाही देशों के साथ गठबंधन करना चाहता था।”
उन्होंने भारतीयों को बताया कि रूसी मिसाइलें सांख्यिकीय रूप से टेनिस में उनके पहले सर्व से कम सटीक साबित हो रही थीं। क्या वे वास्तव में रूस को अपने सैन्य हार्डवेयर के मुख्य आपूर्तिकर्ता के रूप में रखना चाहते थे?
बोरिस जॉनसन लिखते हैं, “रक्षा मंत्रालय की शंकाओं को दूर करते हुए हमने पनडुब्बियों से लेकर हेलीकॉप्टरों और समुद्री प्रणोदन इकाइयों तक सभी प्रकार की सैन्य तकनीक पर एक साथ काम करने पर सहमति व्यक्त की।”
जॉनसन ने सितंबर 2022 में बालमोरल में महारानी एलिजाबेथ की मृत्यु से दो दिन पहले हुई एक निजी बातचीत का खुलासा किया।
उन्होंने उन्हें यूक्रेन युद्ध पर रूसियों के साथ सख्त रुख अपनाने के लिए भारत को मनाने में यूके सरकार को आ रही कठिनाइयों के बारे में बताया था।
उन्होंने उन्हें कुछ ऐसा बताया जो जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें 1950 के दशक में बताया था। रानी ने जॉनसन से कहा, ‘उन्होंने मुझसे कहा कि भारत हमेशा रूस का साथ देगा और कुछ चीजें कभी नहीं बदलेंगी। बस यही बात है।’’
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