सामरिक और पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण दुनिया के सबसे ऊंचे बिलासपुर -मनाली -लेह रेल ट्रैक को बिछाने की भारतीय रेलवे ने तैयारी शुरू कर दी है। 465 किलोमीटर लंबे ट्रैक के पहले चरण के फाइनल लोकेशन सर्वे का काम पूरा कर लिया गया है।
परियोजना की लागत 83,360 करोड़ रुपये आंकी गई है। इसमें करीब 74 सुरंगें बनेगी। एक सुरंग 27 किलोमीटर लंबी होगी। आधे से ज्यादा 244 किमी हिस्सा सुरंगों से होकर गुजरेगा। यह प्रदेश की सबसे लंबी पहली ब्रॉडगेज लाइन होगी।
योजना पूरी होने के साथ भारतीय रेलवे चीन संघाई-तिब्बत रेलवे को पीछे छोड़ देगा। इस ट्रैक की ऊंचाई समुद्र तल से 3300 मीटर होगी। इस प्रोजेक्ट के पूरा होने पर रेलवे हिमाचल के मंडी, मनाली, कुल्लू, केलांग, तांदी, कोकसर, डच, उपसी और कारु को भी जोड़ेगा।
ट्रैक बन जाने से चीन की सीमा तक सेना को रसद पहुंचाना आसान हो जाएगा। अंतिम लोकेशन सर्वे का काम रेल मंत्रालय के तहत आने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम राइट्स ने पूरा किया है। सर्वे तीन चरणों में किया जाएगा। रक्षा मंत्रालय ने देश की दीर्घकालिक आवश्यकताओं के लिए कुल चार प्रोजेक्ट की पहचान की है।
इसमें मुख्य रूप से अरुणाचल प्रदेश में मीसामारी-तेंगा-तवांग 378 किलोमीटर, असम और अरुणाचल प्रदेश में 249 किलोमीटर नार्थ लखीमपुर-बामे सलापत्थर, 227 किलोमीटर पासीघाट-तेजू-परशुरामकुड-रूपई और पंजाब-हिमाचल और लद्दाख इलाके में बनने वाले सबसे ऊंचा ट्रैक।
रेललाइन की कुल लंबाई लगभग 465 किलोमीटर होगी। इस रूट पर कुल 30 रेलवे स्टेशन बनाने का प्रस्ताव दिया गया है। जिस तरह से कश्मीर में ट्रेन चलाई गई है उसी तरह बिलासपुर और लेह दोनों ओर से पटरियों को बिछाने का काम शुरू किया जाए।