Home राजनीति रमन सरकार की छाती पीटती पुलिस, मुस्कुराता रहा निर्भीक कलमवीर

रमन सरकार की छाती पीटती पुलिस, मुस्कुराता रहा निर्भीक कलमवीर

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करमजीत कौर

एहसान रहा इलजाम लगाने वालों का मुझ पर,
उठती ऊंगलियों ने मुझे मशहूर कर दिया।

ये दो पंक्तियां कलमवीर विनोद वर्मा पर एकदम फिट बैठती हैं क्योंकि राजनीतिक विद्वेष के चलते राज्य सरकार की सरपरस्ती में किसी संगठित गिरोह की तरह काम करने वाली पुलिस के पास अब छाती पीटने के अलावा कोई चारा नहीं है क्योंकि देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी सीबीआई ने विनोद वर्मा को ब्लैक मेलिंग करने के आरोप से बरी कर दिया है। किसी गंभीर अपराधी की तरह रातों-रात गिरफ्तार किए गए विनोद वर्मा ने उस वक्त भी कहा था कि पुलिस उन्हें झूठे आरोप में पकड़ रही है लेकिन तब पुलिस सत्ताधीशों के इशारों पर किसी कठपुतली की तरह नाच रही थी। आज पुलिस के वही अधिकारी और मुख्यमंत्री के रणनीतिकार नौकरशाह भरे बाजार में खड़ी किसी निर्वस्त्र स्त्री की तरह अपने अंगों को छिपाने की कोशिश में लगे हैं।

इसमें कोई दो राय नहीं कि छत्तीसगढ़ से निकलकर अपनी कलम और लेखनी के बल पर देश-दुनिया में ख्याति हासिल करने वाले विनोद वर्मा के लिए यह घटना किसी बुरे सपने की तरह थी। खोजी पत्रकारिता का पाठ पढ़कर उसे अंजाम तक पहुंचाने वाले विनोद वर्मा सदैव से जिज्ञासु रहे हैं। बीबीसी जैसे मीडिया समूह में काम करके उन्होंने खबरों की तह तक जाने का पाठ सीखा है। लेकिन उन्हें इस बात का जरा भी आभास नहीं था कि छत्तीसगढ़ के सत्ताधीश अपनी राजनीतिक दुश्मनी के लिए उन्हें एक हथियार की तरफ इस्तेमाल करने का ताना-बाना बुन रहे हैं। बेशक विनोद वर्मा उसी परिवार से हैं, जिस परिवार के सदस्य कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल हैं। एक ही परिवार का होने के नाते दोनों के बीच अच्छे सम्बंध होना बेहद स्वाभाविक है। राजनीतिक दुश्मनी निभाने के लिए सरकार के रणनीतिकारों ने इसी सम्बंध का फायदा उठाया और उन्होंने विनोद वर्मा को सॉफ्ट टॉरगेट मानते हुए शिकंजा कसा। निर्दोष होने के बावजूद विनोद वर्मा ने प्रतिकार नहीं किया और सबकुछ समय के हवाले कर दिया। समय ने करवट बदला और किसी विजेता की तरह विनोद वर्मा सामने आए। इसके विपरीत सरकार और उसके रणनीतिकार मुंह छिपाते दिख रहे हैं।

देश के इतिहास में छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित सीडी कांड के जरिए जो राजनीतिक गिरावट देखने को मिली, वैसे उदाहरण देश में पहले कभी नहीं देखा गया है। राजनीतिक द्वेष का मोहरा बने देश के प्रतिष्ठित पत्रकार विनोद वर्मा को जिस सनसनीखेज तरीके से दिल्ली से गिरफ्तार किया था, उससे लग रहा था कि छत्तीसगढ़ पुलिस के पास बहुत ही पुख्ता सबूत होंगे। छत्तीसगढ़ पुलिस कहती रही कि उनके खिलाफ  सबूत हैं, लेकिन अदालत में वह एक भी सबूत पेश नहीं कर पाई। बड़ी बात ये है कि सीडी बनाने वाले  भाजपा के नेता स्वतंत्र घूम रहे हैं और सीडी लहराने वाले कांग्रेसियों को आरोपी बना दिया गया। अंतागढ़ सीडी काण्ड में भी भूपेश बघेल ने सीडी लहराई थी, लेकिन उस मामले में आज तक चालान पेश नहीं सका। जितनी तत्परता इस मामले में सरकार ने दिखाई है, उतनी तत्परता झीरम कांड में दिखती, तो कांग्रेसी नेताओं के हत्यारे आज जेल में होते। हालांकि सरकार कह रही है कथित सेक्स सीडी कांड मामले में सीबीआई जांच की मांग कांग्रेस ने ही की थीं, लेकिन सरकार की बोलती तब बंद हो जाती हैं जब कोई यह सवाल पूछता है कि सीबीआई जांच की मांग तो कांग्रेस ने झीरम घाटी की घटना के लिए भी की थी, लेकिन उस मामले में जांच क्यों नहीं की गई?

विनोद वर्मा ने पत्रकारिता के तमाम झंझावतों को सहते हुए कलम को पैना बनाने में तमाम उम्र गुजार दी। शिखर पर पहुंचने के लिए कई परेशानियां सहीं लेकिन कलम से समझौता नहीं किया। उस प्रतिष्ठा को क्षणभर में धूमिल कर दिया गया। क्या डॉ रमन सिंह की सरकार उस व्यक्तित्व की उजली चमक को वापस कर पाएगी। क्या उन मानसिक यातनाओं पर सरकार या पुलिस की माफी के मलहम से पपड़ी आ पाएगी? जेल में उन मानसिक यातनाओं के दिन क्या भूल पाएंगे विनोद वर्मा? किस तरह उनके बूढ़े पिता अपने बेटे की रिहाई के लिए परेशान रहे। अपने अंतिम समय को सुकून से गुज़ारने के बजाय अपनी धुंधली आंखों से बेटे की रिहाई की बाट जोहते रहे। आखिरकार उस पीड़ा से उबर नहीं पाए और चले गए इस बेदर्द दुनिया से दूर जहां लोग अपनी राजनीतिक दुश्मनी के लिए किसी को भी मोहरा बना सकते हैं।

अब तो प्रदेशवासी भी इस बात को मान रहे हैं कि सरकार को आने वाले चुनाव के बाद होने वाली उनकी हालत की भनक लग गई थी इसलिए उसने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल को फंसाने के लिए विनोद वर्मा को हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया। क्या छत्तीसगढ़ में राजनीति का स्तर इतना गिर चुका है कि किसी भी पत्रकार की 30 सालों की तपस्या और प्रतिष्ठा को धूमिल कर दिया गया। सीडी बनाने वाला नेता भी भाजपा का और जिसकी सीडी बनी वो भी भाजपा का ही है। रमन सरकार अपना घर संभाल नहीं पा रही है और अपनी गलतियों का ठीकरा दूसरों के सर फोड़ना चाहती है।