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क्वांट म्युचुअल फंड में फ्रंट रनिंग के आरोपों के बाद सेबी ने कहा प्रबंधन कंपनियां जल्द लागू करें सख्त नियम 

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नई दिल्ली।  क्वांट म्युचुअल फंड में फ्रंट रनिंग की आशंका के चलते संस्थागत प्रक्रिया व्यवस्था का क्रियान्वयन तेज कर दिया है। इस व्यवस्था का मकसद फ्रंट रनिंग और फर्जी लेनदेन के जरिये होने वाला बाजार का दुरुपयोग रोकना है। व्यवस्था को अप्रैल में सेबी की बैठक में मंजूरी मिली थी। इसे अधिसूचित होने के छह महीने बाद लागू होना था लेकिन सेबी ने जून में बैठक में नया रास्ता बताया, जिसमें बड़ी परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) से कहा कि यह व्यवस्था जल्द लागू करें। सेबी की बैठक की घोषणा के समय इसका जिक्र नहीं हुआ था लेकिन बैठक के एजेंडे का ब्योरा जारी होने पर इसका पता चला।
बाजार नियामक ने एजेंडा पत्र में कहा है कि कुछ बड़ी एएमसी छह महीने की मियाद से पहले ही संस्थागत प्रक्रिया व्यवस्था लागू कर सकती हैं। सेबी एक एएमसी के ट्रेड में फ्रंट रनिंग के आरोपों की जांच कर रहा है और इन आरोपों के कारण ही एएमसी में संस्थागत प्रक्रिया का क्रियान्वयन तेज किया जा सकता है। सेबी की 27 जून को हुई बैठक फ्रंट रनिंग के आरोप में क्वांट म्युचुअल फंड के परिसरों की तलाशी के करीब हफ्ते भर बाद हुई। पिछले हफ्ते ऐसेट मैनेजर ने स्वीकार किया कि सेबी की खोजबीन नियमित कवायद नहीं थी ब​ल्कि अदालत की मंजूरी वाली तलाशी और जब्ती कार्रवाई थी।
जानकारी रखने वाले लोगों ने कहा कि इस फंड कंपनी पर फ्रंट रनिंग के आरोप लगने के साथ ही सेबी ने अपने बोर्ड को संस्थागत प्रक्रिया व्यवस्था के क्रियान्वयन की जानकारी देने और बड़ी फंड कंपनियों में इसे जल्द लागू कराने का फैसला लिया। सूत्रों ने कहा कि ज्यादातर बड़े फंड कंपनियां इसके लिए तैयार हैं। नियामक ने म्युचुअल फंड उद्योग पर सतर्कता बढ़ा दी है। पिछले कुछ सालों में देशभर के परिवारों से बड़ी मात्रा में रकम फंड कंपनियों तक पहुंचने लगी है। उद्योग के द्वारा संभाली जा रही परिसंपत्ति (एयूएम) 2021 के शुरुआती दौर से दोगुनी हो चुकी हैं। मार्च 2020 में 2.1 करोड़ म्युचुअल फंड ग्राहक थे, जिनकी संख्या अब दोगुनी से ज्यादा होकर 4.6 करोड़ हो गई है।
प्रस्तावित व्यवस्था की अधिसूचना नियामक ने अभी जारी नहीं की है। इसका मकसद फ्रंट रनिंग जैसे संवेदनशील जानकारी का फ्रंट रनिंग जैसा दुरुपयोग और कदाचार रोकने के लिए एएमसी में एकसमान निगरानी और आंतरिक नियंत्रण स्थापित करना है। इसके तहत नियामक ऐसे मामलों में एएमसी प्रबंधन पर ज्यादा जिम्मेदारी और जवाबदेही भी डालेगा। यह व्यवस्था म्युचुअल फंड के संगठन एम्फी द्वारा कामकाज के लिए तैयार की गई मानक प्रक्रिया पर आधारित होगी। अभी यह नहीं पता कि एम्फी ने सेबी को यह प्रक्रिया भेजी है या नहीं। 
अभी सभी फंड कंपनियों के पास निगरानी की अपनी-अपनी व्यवस्था है। सेबी के निर्देश के मुताबिक बाजार में कारोबार के दौरान फंड मैनेजरों और डीलरों की पूरी बातचीत रिकॉर्ड की जाती है। नई व्यवस्था लागू होने के बाद नियामक इसमें ढील दे सकता है। इस महीने की शुरुआत में सेबी ने सुर्कलर जारी कर कहा था कि स्टॉक ब्रोकरों के लिए धोखाधड़ी या बाजार के दुरुपयोग का पता लगाने और उसे रोकने के लिए संस्थागत स्तर पर व्यवस्था तैयार करना जरुरी है।