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इस विधि से करें वट सावित्री की पूजा, नहीं लगेगा वैधव्य दोष, हरिद्वार के विद्वान से जानें कारण

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धार्मिक ग्रंथो के अनुसार ज्येष्ठ माह की अमावस्या को वट सावित्री व्रत करने पर विशेष लाभ की प्राप्ति होती है. कहा जाता है कि ज्येष्ठ माह की अमावस्या को वट सावित्री व्रत करने से पति की उम्र वट वृक्ष के समान लंबी हो जाती है. साथ ही जो महिलाएं संतान सुख की प्राप्ति करना चाहती है उनके लिए भी यह व्रत बेहद ही लाभदायक होता हैं. साल 2024 में वट सावित्री व्रत 06 जून यानि गुरुवार को होगा. देश और दुनिया में रहने वाली सनातन धर्म की महिलाएं इस व्रत को अपने पति की लंबी आयु और संतान की प्राप्ति के लिए पूरे विधि विधान के साथ करती हैं.वट सावित्री व्रत की कथा प्राचीन समय से जुड़ी हुई बताई जाती है. प्राचीन समय में सावित्री नाम की एक सुहागन महिला अपने पति सत्यवान के प्राणों को यमराज से भी वापस ले आई थी. यह पूरी घटना एक वट वृक्ष (बड़ का पेड़) के नीचे हुई थी इसलिए सुहागन महिलाएं वट सावित्री व्रत को पूरे विधि-विधान से करती हैं.

ऐसे करें वट सावित्री की पूजा
हरिद्वार के ज्योतिषी श्रीधर शास्त्री ने बताया कि वट सावित्री व्रत पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए रखे जाने वाला व्रत है. इस व्रत को करने से संतान सुख की प्राप्ति भी होती हैं. इस व्रत के करने से पति की आयु में वृद्धि होती है और उनकी सेहत अच्छी रहती है. वह बताते हैं कि वट सावित्री व्रत से एक दिन पहले ही व्रत की तैयारी करनी चाहिए और घर में साफ सफाई कर गंगाजल का छिड़काव करें जिससे घर का वातावरण शुद्ध रहे. वट सावित्री व्रत के दिन वट वृक्ष के नीचे आसन पर बैठकर पूजा करें और सफेद कच्चे धागे से वट वृक्ष की सात परिक्रमा यानी सात बार पेड़ पर घुमा कर लपेट दें.

नहीं लगता वैधव्य दोष
ज्योतिषाचार्य पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि इसके बाद वहां बैठकर सत्यवान और सावित्री की कथा को श्रद्धा पूर्वक श्रवण करें और बाद में आरती करके अपना व्रत पूरा करें. इस व्रत को करने से जहां महिलाओं के पति की आयु लंबी होती है वहीं उन्हें संतान की प्राप्ति भी हो जाती है. कहा जाता है कि जैसे वट वृक्ष की लंबी आयु होती है वैसे ही वट सावित्री का व्रत करने वाली महिलाओं के प्रति की आयु भी वृक्ष के समान लंबी हो जाती है. ज्योतिषाचार्य श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि जो महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए वट सावित्री व्रत पूरे विधि विधान के साथ करती हैं उन्हें वैधव्य (विधवा) का दोष नहीं लगता.