छत्तीसगढ़ । आम आदमी पार्टी बस्तर लोकसभा सचिव तरुणा साबे बेदरकर ने रसोइया संघ की अध्यक्ष नीलू ओगरे के साथ भूपेश सरकार की पुलिस कार्यवाही को आमानवीय कृत्य बताते हुए कड़ी निंदा की है और कहा कि पुलिस प्रशासन ने कार्यवाही के नाम पर एक महिला की सार्वजनिक रूप से लज्जा को भंग किया है जिसके लिए सभी पुलिस कर्मचारी के ऊपर कार्यवाही होनी चाहिए।
गौरतलब हो कि पूरे छत्तीसगढ़ में स्कूल रसोइया संघ के द्वारा वेतनमान बढ़ाने और नियमित कर्मचारी घोषित करने के मांग को लेकर धरना विगत 6 महीने से अलग अलग जिला में जारी है। छत्तीसगढ़ में इन रसोई कर्मचारी को मानदेय के रूप में आज भी केवल 1500 रुपये दिए जाते हैं। जबकि स्कूल के अंदर बच्चों के लिए सुबह 10 से लेकर शाम 4.30 बजे तक ड्यूटी करते हुए स्कूल की सफाई, पीने का पानी के साथ ही साथ स्वास्थ्य वर्धक भोजन बनाने का कार्य इनके द्वारा किया जाता है। लेकिन पहले की रमन सरकार के साथ साथ वर्तमान के भूपेश सरकार ने भी कभी सुध नही लिया और इनके वेतनमान में बढ़ोतरी नही की गई।
आगे तरुणा ने कहा कि इसी मांग को लेकर प्रदेश अध्यक्ष नीलू ओगरे के नेतृत्व में रायपुर में धरना प्रदर्शन किया जा रहा था। जहां भूपेश सरकार के इशारे पर राजधानी पुलिस कर्मियों ने धरना का दमन करने हेतु अध्यक्ष के साथ बालप्रयोग करते हुए उसे उठा कर गिरफ्तार कर लिया गया। तरुणा ने आगे कहा कि पुलिस की कार्यवाही पूरी तरह इस आंदोलन को दमन करना था, लेकिन जिस तरीके से सोशल मीडिया में वीडियो वायरल हुआ है जिसमे महिला अध्यक्ष के साथ कपड़े फटते अंगों का प्रदर्शन से महिला की शील भंग हुई है ये महिला अस्मिता के साथ खिलवाड़ है।जिसके लिए सभी पुलिस कर्मचारियों के साथ भूपेश सरकार भी जवाबदेही है।
तरुणा साबे ने वर्तमान के भूपेश सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार गरीब रसोइयों के पेट पर लात मारने का प्लान तैयार कर बैठी है। पूरे छतीसगढ़ के अंदर रेडी फूड ठेकेदारों को काम दे कर मोटा मुनाफा लेने के उद्देश्य से गरीब रसोइयों के मांग को अनदेखा करते हुए येनकेन प्रकारेण उनके आंदोलन को दमन कर रही है।
आम आदमी पार्टी इस पूरे कृत्य पर कड़ी निंदा करते हुए इस मामले को भारतीय दंड संहिता की धारा 354 के अनुसार पंजीबद्ध करके पुलिस अधिकारियों पर कार्यवाही की मांग को लेकर छत्तीसगढ़ महिला आयोग और राष्ट्रीय महिला आयोग को पत्र लिख कर कार्यवाही की मांग करेगी ।कार्यवाही नही होने की स्तिथि में महिला अस्मिता के लिए उग्र प्रदर्शन करने बाध्य होगी।