जगदलपुर। जिन शिक्षकों के हाथों में बच्चों का भविष्य गढ़ने की जिम्मेदारी हो और जो शिक्षा की अलख जगाकर बच्चों को उड़ने के पंख देते हों यदि उनके खुद के कदम ही नशे में लड़खड़ा जाएं तो इससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण कुछ नहीं हो सकता। जब स्कूल में छात्राएं भी पढ़ती हों तो मामला और भी गम्भीर हो जाता है।
बस्तर जिले में एक ऐसा ही मामला सामने आया है जहाँ शिक्षक स्कूल में शराब पीकर झूमते नजर आए।हम बात कर रहे हैं तोकापाल ब्लॉक की टेका मेटा प्राथमिक शाला की जहाँ दो टीचर शराब पीकर स्कूल आये हुए थे। महिला बाल विकास विभाग के द्वारा कार्यक्रम संचालित किया जा रहा था। वहां पर सहायक शिक्षक अवध पदमाकर शराब के नशे में धुत्त जोकर की तरह हरकतें कर रहे थे। अवध पदमाकर ने न सिर्फ कार्यक्रम में बाधा पहुंचाई बल्कि कर्मचारियों एवं अन्य लोगों के साथ दुर्व्यवहार भी किया।
उनके साथ ही एक अन्य शिक्षक सतीश त्रिपाठी भी शराब पिये हुए थे। जब उनसे पूछा गया कि आपके साथी ने शराब पी है तो उन्होंने कहा कि इसमें कौन सी बड़ी बात है,सभी पीते हैं सब चलता है। त्रिपाठी से जब पूछा गया कि क्या आपने भी शराब पी रखी है तो उन्होंने कहा कि मैं महीने में दो तीन बार पीता हूं ,लेकिन अभी नहीं पी है। हालांकि उन्होंने भी शराब पी रखी थी।
जब हमने तफ्तीश की तो पता चला कि दोनों टीचर रोज शराब पीकर स्कूल आते हैं। अवध पदमाकर बच्चों को पढ़ाने की बजाय ऊलजलूल हरकतें करते हैं या यूं कहें कि सारा दिन वे नौटंकी करते रहते हैं।
सवाल यह है कि उस स्कूल में छात्रायें भी पढ़ती हैं। शिक्षक द्वारा शराब में धुत्त होकर स्कूल आना आपत्तिजनक तो है ही। साथ ही स्कूली बच्चियां भी सुरक्षित नहीं है। किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना हो सकती है। सबसे बड़ी बात यह है कि शिक्षक को गुरु का दर्जा देने वाले बालमन पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है।
इस मामले के बारे में डीइओ सुश्री भारती प्रधान और बस्तर कलेक्टर रजत बंसल को भी अवगत कराया गया। कलेक्टर श्री बंसल ने कहा कि शिक्षकों का स्कूल में शराब पीकर आना गलत है। बहुत ही गम्भीर मामला है। शिक्षकों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।