नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने 7 साल पुराने एक रेप के मामले में बच्चे की गवाही को जायज मानते हुए ऐतिहासिक फैसला सुनाया। दरअसल साल 2013 में बच्चे की जन्म से ही नेत्रहीन बहन के साथ बलात्कार करने के आरोपी को कोर्ट ने 20 साल कैद की सजा सुनाई। जब उसकी बहन के साथ यह घटना हुई तो उस वक्त उसका भाई भी मौजूद था, जिसकी गवाही के आधार पर कोर्ट ने आरोपी को सजा सुनाई। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा की उसे बच्चे की गवाही पर कोई शक नहीं है।
आरोपी टैक्सी चालक को 20 साल कैद की सजा सुनाते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुधांशु कौशिक ने कहा कि इस घटना पीड़ितों पर पड़ने वाला प्रभाव अकल्पनीय है। फैसला सुनाते हुए उन्होंने कहा कि बच्चे ने एक ईमानदार और सच्ची गवाही दी, जिसने इस घटना का सटीक विवरण दिया। उसकी गवाही पीड़िता के बयान की पुष्टि करती है।
‘बच्चे की गवाही पर संदेह करने का कोई कारण नहीं’
अदालत ने कहा कि उन्हें आठ साल के बच्चे की गवाही पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है, क्योंकि वह पीड़िता का भाई है। अदालत का कहना था कि सलीम उर्फ संजय ने एक नेत्रहीन लड़की पर बलात्कार किया, जो जघन्य है। उसने उसके छोटे भाई की मौजूदगी में पीड़िता के साथ बलात्कार की वारदात को अंजाम दिया।
लिफ्ट देने के बहाने जबरदस्ती कार बैठाया
दोषी टैक्सी चालक ने दोनों भाई-बहन को लिफ्ट देकर घर छोड़ने के बहाने से कार में बैठाया, कार में उसके कुछ जानने वाले लोग पहले से ही बैठे हुए थे। टैक्सी चालक ने मारपीट कर बहन के साथ बलात्कार किया। गवाही के बाद सामने आया कि बहन और भाई को टैक्सी चालक ने जबरदस्ती कार में बिठाया। वहीं बच्चों की मां ने भी इस बात की तस्दीक की।
अदालत ने नहीं मानी बचाव पक्ष की दलील
वहीं बचाव पक्ष ने ये दलील दी कि दोनों बच्चे आरोपी से सम्बंधित थे इसीलिए संभावना है कि उनकी गवाही की जांच नहीं की गई। वहीं कोर्ट ने बचाव पक्ष की दलील न मानते हुए बच्चे की गवाही को जायज ठहराया और कहा कि अदालत को बच्चे की गवाही पर कोई संदेह नहीं है। कोर्ट ने आरोपी टैक्सी चालक को 20 साल की सजा के साथ उस पर 30 हजार का जुमार्ना भी लगाया है। इसके साथ ही पीड़ित पक्ष को मुआवजा देने का भी आदेश दिया।