रायपुर। राजभवन और सरकार के बीच टकराव से जुड़ी एक और बहुत बड़ी खबर आ रही है। राजभवन ने विशेष सत्र बुलाने वाली फाइल वापस लौटा दी है। राज्य सरकार ने दो दिन पहले राजभवन को दो दिन के विशेष सत्र बुलाने की फाइल भेजी थी। कल इस मामले में संसदीय कार्यमंत्री रविंद्र चौबे का बयान भी सामने आया था, जिसमें उन्होंने मीडिया को बताया था कि विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जायेगा, जिसके लिए फाइल राजभवन भेजी गयी है। हालांकि किसानों के लिए अलग कानून बनाने के लिए विशेष सत्र बुलाने का फैसला पिछले कैबिनेट की बैठक में ही हो चुका था।
अब खबर ये आ रही है कि राज्यपाल अनुसूईया उईके ने विशेष सत्र की फाइल वापस कर दी है। राजभवन ने अपनी टीप में लिखा है। ऐसी कौन सी परिस्थिति है कि विशेष सत्र बुलाया जाये, 58 दिन पहले ही विधानसभा का सत्र आहूत किया गया था।
आपको बता दें कि पिछले 14 अक्टूबर से लगातार राजभवन और राज्य सरकार के बीच टकराव की खबरें आ रही है। इस पूरे टकराव की शुरूआत 14 अक्टूबर को गृह विभाग की उस बैठक के स्थगित होने से शुरू हुई थी, जो राजभवन में आयोजित होनी थी। इस बैठक में गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू को शरीक होना था, लेकिन उन्होंने खुद को क्वारंटीन बताते हुए बैठक स्थगित करा दी। लेकिन उसी दिन दोपहर में मुख्यमंत्री की बुलायी गृह विभाग की बैठक में वो शरीक हो गये।
ये विवाद अभी तूल पकड़ ही रहा था कि शाम होते-होते राज्यपाल के सचिव सोनमणि बोरा को राज्य सरकार ने हटा दिया, जिसके बाद राज्यपाल ने तीखा पत्र लिख डाला। पूर्णकालिक सचिव के साथ-साथ उन्होंने नियुक्ति में राय नहीं लेने की बात तक कह डाली। विवाद के बीच 15 अक्टूबर को नये सचिव अमृत खलको जब ज्वाइनिंग के लिए राजभवन पहुंचे तो उन्हें ज्वाइनिंग से रोक दिया गया ।
विवाद के बीच 15 अक्टूबर को मुख्यमंत्री और गृहमंत्री का बयान भी आया और सभी ने टकराव की बात को सिरे से खारिज भी कर दिया। 15 अक्टूबर को ही मंत्री रविंद्र चौबे और मोहम्मद अकबर ने राज्यपाल से मुलाकात की और टकराव जैसी कोई भी बात से इंकार किया।
लेकिन, इसी कड़ी अब नया विवाद ये सामने आया है कि राज्यपाल ने विशेष सत्र बुलाने की फाइल वापस कर दी है। ऐसी परंपरा अमूमन छत्तीसगढ़ में रही नहीं कि राज्यपाल कोई फाइल वापस लौटा दे, लेकिन जिस तरह से राजभवन का रूख सामने आया है, उससे साफ है कि आने वाले दिनों में ये टकराव और बढ़ने वाला है।