पटना । बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन की सहयोगी पार्टी भाकपा माले वोट बैंक को मजबूत करने के लिए जमीन पर उतार गई है। माले की ओर से बदलो बिहार महाजुटान का आयोजन किया गया। खास बात यह कि स्कीम वर्करों को एकजुट करने की कोशिश की गई। भाकपा माले 10 लाख स्कीम वर्कर के द्वारा विधानसभा चुनाव में अपनी ताकत बढ़ाने में लगी है। 9 मार्च को पटना के गांधी मैदान में बदलो बिहार महाजुटान में बड़ी संख्या में लोगों को जुटाने की तैयारी है। अलग-अलग संगठनों से कहा गया है कि इसमें अपने-अपने बैनर के साथ आकर ताकत दिखाएं।
माले एमएलसी शशि यादव कहा कि प्रमंडल स्तर पर बिहार में इस तरह का आयोजन हो रहा है। माले महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य पदयात्रा भी करने वाले है। ऐसा माहौल इसलिए बनाया जा रहा है कि हिंदू-मुस्लिम के एजेंडे पर चुनाव की जगह आम लोगों के मुद्दे हावी हो। पुरानी पेंशन स्कीम भी लागू करने की हमारी मांग है। हम चाहते हैं कि पार्टियां चुनावी घोषणा-पत्र में इन आंदोलनकारियों की मांग को शामिल करें।
चुनाव से पहले महागठबंधन की साथी पार्टियों को माले अपनी ताकत दिखा रही है, ताकि चुनाव में अधिक सीटों की मांग कर सके। इस सवाल पर यादव ने कहा कि महागठबंधन एकजुट है। आपस में ताकत दिखाने जैसी कोई बात नहीं है। हमलोग एकजुट होकर एनडीए को अपनी ताकत दिखाएंगे। माले की ताकत लगातार बढ़ रही है। जो भी लड़ने वाली ताकतें हैं वह सरकार के खिलाफ माले के साथ आ रही हैं।
आंदोलनकारियों को नजरबंद किया जा रहा है
माले के राष्ट्रीय महासचिव भट्टाचार्य कहते हैं कि नीतीश कुमार प्रगति यात्रा पर निकले हैं, लेकिन यह यात्रा दबंग यात्रा है।नीतीश जहां जा रहे हैं वहां आंदोलनकारी संगठनों के जुड़े लोगों को थाना में रोक कर रखा जा रहा है और घरों में नजरबंद किया जा रहा है।