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1 नवंबर को ध्यानाकर्षण सत्याग्रह इंद्रावती नदी तट पर,इंद्रावती प्राधिकरण की घोषणा के बाद – अब तक शुरू नहीं हुआ काम

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जगदलपुर – बस्तर की प्राणदायनी इंद्रावती नदी को बचाने के लिए शुरू की गई इंद्रावती जनजागरण अभियान के द्वारा राज्य स्थापना दिवस के दिन 1 नवंबर को संकेतिक ध्यानाकर्षण सत्याग्रह का आयोजन किया जाएगा।सत्याग्रह का मूल उद्देश्य इंद्रावती नदी को बचाना का है.1 नवंबर शुक्रवार को इंद्रावती नदी तट पुराना पुल के पास सुबह 7:00 बजे से 9:00 बजे तक ध्यानाकर्षण सत्याग्रह किया जाना प्रस्तावित किया गया है । सत्याग्रह के माध्यम से शासन का ध्यानाकर्षण कराया जायेगा की प्राधिकरण घोषणा के बाद अब तक जमीनी स्तर नदी को बचाने कोई काम शुरू नही किया गया है14 दिन के पदयात्रा के बाद छतीसगढ़ की भूपेश सरकार ने इंद्रावती प्राधिकरण बनाने की घोषणा की थी पर प्राधिकरण को लेकर अब तक कोई सुगबुगाहट नजर नहीं आ रही.

इंद्रावती  बचाओ जनजागरण अभियान आने वाले दिनों में बस्तर में पर्यावरण संरक्षण और अन्य मुद्दों को लेकर काम करने के लिए नई कार्ययोजना तैयार कर रही है.मगर अभियान का मूल उदेश्य नदी का सवर्धन और जल संचय है.इसी के तहत बुधवार को नयापारा स्थित पत्रकार भवन में अभियान के सदस्यों ने एक बैठक आयोजित की जिसमें इंद्रावती नदी बचाने के लिए घोषित प्राधिकरण में काम शुरू ना किए जाने को लेकर चिंतन मंथन किया .इंद्रावती विषय को लेकर सभी सदस्यों ने तय किया कि राज्य स्थापना दिवस के दिन 1 नवंबर को 2 घंटे का संकेतिक ध्यानाकर्षण सत्याग्रह किया जायेगा,अभियान के सदस्यों ने कहा की छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने इंद्रावती प्राधिकरण का गठन तो कर दिया है पर उसे अमलीजामा अभी तक पहनाया नहीं गया है.अभी तो नदी में पर्याप्त पानी है मगर ग्रीष्मकाल में पानी को लेकर बस्तरवासियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.शासन को जल्द इस पर कार्य शुरू करना चाहिये।

बारिश व ठंड के मौसम में तो नदी में पानी होता है मगर गर्मी आते ही नदी सूख जाती है हाल ही में इंद्रावती नदी इस तरह सुखी जिसे देखकर बस्तर के लोगों ने एक बड़े अभियान की शुरुआत कर दी और यह अभियान निरंतर बस्तर में पर्यावरण सरंक्षण और नदी को बचाने के लिए काम कर रही है.बैठक में कई अन्य मुद्दों पर भी चर्चा हुई.