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अब प्रदेश अध्यक्ष के निर्वाचन पर सबका फोकस

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भोपाल: मप्र में भाजपा जिला अध्यक्षों की घोषणा के बाद सूची देखने में जिलाध्यक्ष नेताओं में बंट गए है। प्रदेश के 62 में से अब तक 47 जिला अध्यक्षों के चुनाव हुए हैं इनमें 16 चेहरे रिपीट हुए और 31 नए चेहरों को मौका मिला है। इनमें पहली बार चार महिलाओं को भी जिम्मेदारी दी गई है। क्षेत्रों के नेताओं ने अपने-अपने समर्थकों को जिलाध्यक्ष बनवाया है। संख्या के हिसाब से देखें तो प्रदेश अध्यक्ष के निर्वाचन के लिए कोरम पूरा हो गया है। ऐसे में सबका ध्यान अब प्रदेशाध्यक्ष के चुनाव पर केंद्रित हो गया है। गौरतलब है कि घोषित कार्यक्रम के अनुसार 15 जनवरी तक प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव हो जाना था। लेकिन जिलाध्यक्षों के निर्वाचन में हो रही देरी के कारण प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव भी आगे बढ़ गया है। अब प्रदेशाध्यक्ष के चुनाव के लिए जिलाध्यक्षों की संख्या का कोरम पूरा होने के बाद माना जा रहा है कि इसी महीने भाजपा अपने नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम का ऐलान कर सकती है। प्रदेश अध्यक्ष के लिए आधा दर्जन से अधिक नेता दिल्ली में गणेश परिक्रमा कर रहे है। वहीं महिला नेत्री के नाम पर भी भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व विचार कर रहा है।

प्रदेशाध्यक्ष के लिए कोरम पूरा

भाजपा के संविधान में प्रदेश अध्यक्ष के निर्वाचन के लिए आधे से अधिक जिलाध्यक्षों का निर्वाचन अनिवार्य होता है। भाजपा ने अब तक अपने 47 जिलाध्यक्षों के नामों का ऐलान कर दिया है। माना जा रहा है कि शेष बचे जिलों की घोषणा भी जल्द कर दी जाएगी। इंदौर समेत कुछ जिलों में फंसे पेंच को भी दिल्ली में बैठे नेता हल करने में लगे हैं। प्रदेश अध्यक्ष के निर्वाचन का रास्ता साफ होते ही प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में शामिल नेताओं की सएिनएसयूआईयता बढ़ गई है। ये नेता अब दिल्ली के फेरे कर रहे हैं। इसके साथ ही संघ नेताओं से भी मुलाकात का दौर जारी है। भाजपा प्रदेश चुनाव अधिकारी विवेक नारायण शेजवलकर का कहना है कि जिलाध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद प्रदेश अध्यक्ष के चयन का कार्यक्रम तैयार होगा। नए जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के बाद वोटर लिस्ट तैयार हो जाएगी। इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष का चयन किया जाएगा।

जातीय गणित पर रहेगा जोर

भाजपा आलाकमान ने विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष के चयन में जिस तरह जातीय गणित का ख्याल रखा था। उसकी संभावना प्रदेश अध्यक्ष के चयन में भी प्रबल मानी जा रही है। वीडी शर्मा ब्राम्हण वर्ग से आते हैं अगर पार्टी ने फिर से ब्राम्हण चेहरे पर दांव खेलती है तो पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा, भोपाल के सांसद आलोक शर्मा, पूर्व प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा के नामों पर विचार हो सकता है। नरोत्तम को अपने दिल्ली में सम्पकों का फायदा मिल सकता है तो आलोक शर्मा शुरू से ही संगठन के लिए समर्पित रहे हैं। वे अभी भी प्रदेश उपाध्यक्ष हैं। इसके अलावा आलाकमान अगर अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के किसी नेता को प्रदेश अध्यक्ष का पद देने का फैसला करता है तो सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते, सुमेर सिंह सोलंकी, लाल सिंह आर्य और गजेन्द्र पटेल जैसे नेताओं के नामों पर भी विचार हो सकता है। फग्गन सिंह पूर्व में भी प्रदेश अध्यक्ष के लिए ताल ठोक चुके हैं। वहीं सुमरे सिंह का नाम भी पिछली बार खासी चर्चा में था। वे संघ के बेहद नजदीकी माने जाते हैं। जहां तक बीडी शर्मा का सवाल है उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बने पांच साल 11 महीने का समय हो चुका है। वे नंदकुमार चौहान के साथ उन प्रदेशाध्यक्षों में में शामिल हो गए हैं जिनका कार्यकाल काफी लंबा रहा है। उनके खाते में सफलताएं भी काफी है। उनके नेतृत्व में पहली बार लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सभी 29 सीटें जीतने में सफलता प्राप्त की थी।

महिला नेत्रियां भी दावेदार

भाजपा जिस तरह से महिलाओं को संगठन में आगे बढ़ा रही है उससे इस बात की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि पार्टी हाईकमान प्रदेश अध्यक्ष की कमान किसी महिला नेत्री को सौंप दें। अब तक घोषित 47 जिलाध्यक्षों में पहली बार चार जिलों की कमान महिला नेत्रियों को दी गई है। माना जा रहा है कि इस बार कम से कम दस जिलो में पार्टी महिलाओं को अध्यक्ष बनाएगी। जिन महिला नेत्रियों का नाम प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में माना जा रहा है उनमें सागर की सांसद लता वानखेड़े, पूर्व मंत्री अर्चना चिटनिस, राज्यसभा सांसद कविता पाटीदार, रीति पाठक और शहडोल की सांसद हिमाद्री सिंह के नाम प्रमुख है। इनमें लता वानखेडे संगठन से लंबे समय तक जुड़ी रही है। सागर की ग्राम पंचायत मकरोनिया के सरपंच पद से अपना सियासी सफर शुरू करने वाली लता महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष, राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रह चुकी है और वे इस समय प्रदेश मंत्री भी है। वही कविता पार्टीदार जिला पंचायत अध्यक्ष के साथ इस समय पाटर्टी की प्रदेश महामंत्री है और संगठन के कामों में लगातार सक्रिय है। अर्चना चिटनिस का नाम प्रदेश की वरिष्ठ नेत्रियों में शुमार होता है। वे प्रदेश सरकार में मंत्री रहने के साथ संगठन में भी कई पदों पर रह चुकी है।