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कैलाश विजयवर्गीय को इंदौर माफ़ नहीं करेगा, कोरी लफ़्फ़ाज़ी और जनता से छल की क़ीमत चुकानी ही होगी

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इंदौर: बीजेपी नेता और मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय यूनियन कार्बाइड के ज़हरीले कचरे से इंदौर और पीथमपुर की जनता को बचाने की बजाय पूरी ताक़त से प्राणघातक खतरे में झोंकते नज़र आ रहे हैं। डॉक्टर, विशेषज्ञ, समाजसेवी से लेकर स्थानीय लोग इस कचरे के मालवा में निस्तारण का विरोध कर रहे हैं, लेकिन कैलाश विजयवर्गीय अपने क्षेत्र की जनता के लिए आवाज़ उठाने की बजाय सरकार के एक बेतुके ओर जहरीले फ़रमान के साथ खड़े नज़र आ रहे हैं।

विजयवर्गीय का बेतुका बयान-

कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि भोपाल में जहां यह कचरा था, वहाँ बच्चे क्रिकेट खेलते थे। विजयवर्गीय जी से दो सवाल बनते हैं, पहला कि बच्चों को इस ख़तरनाक अवशेष तक क्यों जाने दिया जाता रहा और दूसरा सवाल कि यदि यह इतना ही सामान्य कचरा है तो भोपाल में ही जला देते, 125 करोड़ रूपये खर्च करने की ज़रूरत क्यों ?

2015 में भी हुआ था धोखा-

हैरानी की बात है कि वर्ष 2015 में गुप-चुप तरीक़े से भोपाल से यूनियन कार्बाइड का 10 टन कचरा पीथमपुर लाकर जलाया गया, और जनता को इसकी भनक तक नहीं लगने दी गई। इंदौर और मालवा की जनता के साथ इतना बड़ा षड्यंत्र हुआ और कैलाश विजयवर्गीय को खबर तक नहीं ?
ये कैसे मुमकिन हो सकता है ?

डॉक्टरों ने कैंसर का ख़तरा कहा-

डॉक्टरों ने यूनियन कार्बाइड के कचरे में 1 टन मर्करी, लेड व अन्य ख़तरनाक कैंसर कारक तत्व होने और 10 टन कचरा जलाने के बाद महू-पीथमपुर में कैंसर और अन्य आनुवांशिक बीमारियाँ फैलने की बात की तो कैलाश विजयवर्गीय ने पल्ला झाड़ते हुये कहा कि मध्यप्रदेश सरकार ने रिपोर्ट नहीं दी है।

सबसे स्वच्छ शहर में कचरा क्यों-

स्थानीय लोगों ने जब भोपाल का कचरा इंदौर और पीथमपुर के माथे पर उड़ेलने का विरोध किया, विशेषज्ञ डॉक्टरों ने कहा कि जो जाँच कराई गई हैं वो सतही और नाकाफ़ी है, बावजूद इसके कैलाश विजयवर्गीय मुख्यमंत्री पर कचरा हटाने के लिए ज़ोर देने की बजाय जनता को ही बरगलाते और समझाते नज़र आये।

केमिकल कंपोज़िशन की जाँच तक नहीं-

विशेषज्ञ डॉक्टर एसएल गर्ग ने यूनियन कार्बाइड के ज़हरीले कचरे के पीथमपुर में जलाने का विरोध करते हुए इसके केमिकल कंपोज़िशन की जाँच कराये बग़ैर इसके निस्तारण पर सवाल उठाए। मंत्री कैलाश विजयवर्गीय गोल-मोल जवाब देते नज़र आये।

विजयवर्गीय क्यों धोखेबाज़ हुए-

जिस कैलाश विजयवर्गीय को इंदौर की जनता ने महापौर, विधायक, मंत्री से लेकर पता नहीं क्या क्या सम्मान दिया, आज जब इंदौर की जनता पर मुसीबत आई तो कैलाश विजयवर्गीय पीठ दिखाकर खड़े हो गये। क्या यही है एक जनप्रतिनिधि की ज़िम्मेदारी ?

जीतू पटवारी गंभीर नज़र आये-

यूनियन कार्बाइड के ज़हरीले कचरे को इंदौर और पीथमपुर से हटाने को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन समेत सभी प्रबुद्ध वर्ग को साथ आकर जनता के हित में खड़े होने का आव्हान किया है। जीतू पटवारी मुसीबत की इस घड़ी में इंदौर के साथ पूरी गंभीरता से खड़े नज़र आ रहे हैं।

विजयवर्गीय से समझदार नीना वर्मा-

कैलाश विजयवर्गीय जहां जनता बरगलाने में लगे रहे वहीं धार की बीजेपी विधायक नीना वर्मा ने कचरे को चुपचाप पीथमपुर लाने का विरोध किया और इस ज़हरीले कचरे को कहीं दूसरी जगह ले जाकर निस्तारण की बात कही है। मुसीबत की इस घड़ी में विजयवर्गीय कोरी लफ़्फ़ाज़ी करते नज़र आये लेकिन नीना वर्मा ज़िम्मेदारी के साथ जनता के बीच दिखाई दीं।

इंदौर अब नहीं तो कब जागेगा-

इंदौर की जनता से भी यह सवाल होना ही चाहिए कि एक सजग मतदाता बनते बनते बीजेपी के गुलाम क्यों बन गये ? बीजेपी के समर्थन की ऐसी भी क्या लाचारी है कि आँख में पट्टी बाँध ली है। जो बीजेपी इंदौर और पूरे मालवा को ज़हरीले कचरे में झोंक रही है, क्या उसे सबक़ सिखाने की ज़िम्मेदारी इंदौर की जनता की नहीं है ? हे ! इंदौरियों, क्यों लोकतंत्र को कमजोर कर रहे हो ? क्यों नहीं सरकार से सवाल कर पाते हो ?

यूनियन कार्बाइड का यह ज़हरीला कचरा तो पीथमपुर पहुँच गया, अब भी अगर इंदौर के भिया लोग नहीं जागे, तो अगले पाँच साल में इंदौर कचरा त्रासदी के लिए तैयार रहें। तब हो सकता है कचरे से प्रभावित लोगों को विजयवर्गीय पेंशन दिलाने के नाम पर वोट माँगने आपके द्वार तक भी पहुँच जायें। लेकिन पीढ़ियाँ न तो विजयवर्गीय को माफ़ करेगी, न इंदौर के उन अंधसमर्थकों को जो आज आवाज़ उठाने में नाकाम साबित हो रहे हैं।