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छत्तीसगढ़ में बैलेट पेपर से होंगे चुनाव, नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ हो सकते हैं

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छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ कराने की तैयारी की जा रही है. वहीं वार्ड आरक्षण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब नगर निगम महापौर और नगर परिषद अध्यक्ष के आरक्षण की प्रक्रिया होनी है जो 7 जनवरी को होगी. इस बीच नगरीय प्रशासन मंत्री डिप्टी सीएम अरुण साव ने बड़ा बयान दिया है. अरुण साव ने कहा कि राज्य में नगरीय निकायों के चुनाव बैलेट पेपर से होंगे. उन्होंने यह भी साफ कर दिया है कि निकाय और पंचायत चुनाव बोर्ड परीक्षाओं से पहले करा लिए जाएंगे. इसके चलते माना जा रहा है कि 7 जनवरी 2025 के बाद चुनाव आचार संहिता लग सकती है और नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं. ये दोनों चुनाव फरवरी में ही पूरे होने की संभावना है।

इस वजह से बैलेट पेपर से होंगे निकाय चुनाव

नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारियों के बीच नगरीय प्रशासन मंत्री अरुण साव ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि नगरीय निकाय और पंचायत का चुनाव बैलेट पेपर से होगा. 7 जनवरी के बाद कभी भी आचार संहिता लग सकती है। मंत्री अरुण साव ने कहा कि ईवीएम मशीन की तैयारी में समय लग रहा था, जिसे देखते हुए बैलेट पेपर से चुनाव कराने का फैसला लिया गया है। चुनाव आयोग तैयारी कर रहा है। उन्होंने कहा कि नगरीय निकाय चुनाव को लेकर सरकार तैयारी कर रही है। नियमों में बदलाव हुए हैं, आरक्षण की प्रक्रिया चल रही है, सरकार जल्द से जल्द चुनाव कराने के लिए प्रतिबद्ध है।

राज्य चुनाव आयोग के निर्देश

अरुण साव ने कहा कि सरकार जल्द से जल्द चुनाव कराने के लिए प्रतिबद्ध है। बैलेट पेपर की छपाई के लिए निर्देश जारी कर दिए गए हैं। वहीं, राज्य चुनाव आयोग ने नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव को लेकर दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। इस संबंध में राज्य के सभी कलेक्टरों को आदेश जारी कर दिया गया है।

1 जनवरी से जुड़ेंगे नए मतदाता

यहां 1 जनवरी 2025 से 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले नए मतदाताओं को मतदाता सूची में शामिल किया जाएगा। इस सूची को अपडेट करने की प्रक्रिया के साथ ही जनवरी में ही नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव की घोषणा कर दी जाएगी। इसके साथ ही प्रदेश में फरवरी में चुनाव कराने की प्रक्रिया चल रही है। 

आरक्षण प्रक्रिया पर असमंजस

प्रदेश में नगर निगम के महापौर और नगर परिषद के अध्यक्ष के आरक्षण की प्रक्रिया 27 दिसंबर को होनी थी, लेकिन इसे टाल दिया गया। यह प्रक्रिया ओबीसी आरक्षण के सर्वे के कारण अटकी हुई है। क्योंकि हाल ही में हुई ओबीसी जनसंख्या गणना के बाद आरक्षण की पूरी प्रक्रिया बदल गई है। इसके चलते यह कयास लगाए जा रहे हैं कि राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव में देरी करने के लिए प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा रहा है। ऐसा करने से नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ कराने में आसानी होगी।