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कहीं घूमने का बना रहे हैं प्लान? खरमास में यात्रा करना शुभ या अशुभ,

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सनातन धर्म में खरमास को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस दौरान भगवान विष्णु की आराधना होती है, लेकिन मांगलिक सभी कार्यों पर रोक लग जाती है. माना जाता है कि सूर्य देव हर समय अपने सात घोड़ों के रथ पर बैठकर ब्रह्रांड की परिक्रमा करते हैं. वहीं खरमास के दौरान सूर्य देव अपने सातों घोड़ों को पानी पीने के लिए छोड़ देते हैं और उसे खर को सौंप देते हैं. इस वहज से उनकी गति धीमी हो जाती है. इस दौरान यात्रा करना चाहिए या नहीं? आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.

सूर्य देव की गति होती है धीमी
खरमास के दौरान सूर्य देव धीरे-धीरे चलते हैं और यही वजह है कि इस दौरान उनका तेज भी क्षीण हो जाता है. फिर मकर संक्रांति के बाद ही दोबारा सातों घोड़ें पर सवार होकर सूर्य देव आगे बढ़ते हैं और उनकी रोशनी में फिर से तेज दिखाई देता है. इसी दौरान सभी मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाते हैं. लेकिन कई लोगों के मन में यह सवाल रहता है कि खरमास में यात्रा करना शुभ क्यों नहीं माना जाता है. तो आइए जानते हैं इसका कारण.

क्या खरमास में यात्रा कर सकते हैं?
माना जाता है कि अगर आपको खरमास के दौरान जरूरी काम से यात्रा पर जाना पड़ रहा हो तो ऐसे में आप यात्रा कर सकते हैं, इसके लिए कोई मनाही नहीं है. लेकिन अगर आप घूमने-फिरने का प्लान बना रहे हैं तो इस दौरान यात्रा करने से बचना चाहिए और यात्रा करते समय सावधानियां बरतनी चाहिए.

कर सकते हैं धार्मिक यात्रा
खरमास में धार्मिक यात्रा करना शुभ फलदायी माना जाता है. इसके अलावा अगर आप धार्मिक यात्रा कर रहे हैं, तो खरमास में धार्मिक यात्रा करना शुभ फलदायी माना जाता है. साथ ही व्यक्ति को उत्तम परिणाम भी मिल सकते हैं. मकर संक्रांति के दिन सभी शुभ कार्य आरंभ कर सकते हैं. इस अवधि को धार्मिक दृष्टि से शुभ नहीं समझा जाता है.