लंका का राजा रावण एक प्रकांड्य विद्वान, महाज्ञानी और महा पराक्रमी था. उसने तीनों लोगों पर अपना आधिपत्य स्थापित कर रखा था. 9 ग्रह उसके चरणों में पड़े रहते थे. शनि देव को उसने बंदी बना रखा था. उससे देवता भी भय खाते थे. रावण ने अपने जीते जी हर सपने को पूरा करना चाहा, लेकिन उसके कुछ सपने ऐसे भी थे, जो अधूरे रह गए. आइए जानते हैं रावण के 5 अधूरे सपनों के बारे में.
सोने में सुगंध पैदा करना: सोने की नगरी लंका में हर सुख और ऐशोआराम के साधन थे. पूरी लंका सोने से बनी थी, जिसकी चमक हर किसी को अपनी ओर खिंचती थी. लेकिन उस सोने में कोई सुगंध नहीं थी. रावण चाहता था कि वह सोने में सुगंध पैदा कर दे, लेकिन यह सपना भी अधूरा रह गया.
समुद्र के खारे पानी को मीठा बनाना: रावण की नगरी लंका चारों ओर समुद्र से घिरी हुई थी, जिसका पानी खारा था. रावण चाहता था कि समुद्र का पानी मीठा हो जाए. रावण का यह पहला सपना था, जो अधूरा रह गया.
पिता के सामने कोई पुत्र न मरे: रावण एक और सपना था कि किसी भी पिता का कोई पुत्र न मरे. अपनी आंखों के सामने पुत्र को मरता देखना, दुनिया का सबसे बड़ा कष्ट होता है. लेकिन जो व्यक्ति ने जन्म लिया है, उसका मरना निश्चित है. इस वजह से रावण का यह भी सपना पूरा नहीं होना था.