मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगई और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल ने अपने इस फैसले में कहा कि वर्ष 1950 से सुप्रीम कोर्ट लगातार प्रेस की आजादी की बात करता रहा है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि ऐसा कोई कानूनी प्रावधान नहीं है जो गोपनीय दस्तावेजों को प्रकाशित करने पर रोक लगाता हो। साथ ही ऐसा कोई कानूनी प्रावधान नहीं है जो ऐसे दस्तावेजों को अदालत में पेश करने पर रोक लगाता हो।
उन्होंने कहा है, हमारी जानकारी में आपराधिक गोपनीय कानून या किसी अन्य कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिसमें संसद द्वारा कार्यकारी अधिकार के तहत गोपनीय दस्तावेजों को प्रकाशित करने पर रोक लगाया गया हो।