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21 अरब दबाकर बैठे हज कमेटी ऑफ इंडिया ने दिया दूसरी किस्त का फरमान

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भोपाल। करीब छह माह से अधिक दूर खड़े हज सफर के लिए खर्च वसूली में हज कमेटी ऑफ इंडिया की अधीरता और जल्दबाजी अकीदतमंदों की मुश्किल बनती जा रही है। अक्टूबर में हुए कुर्रा के तत्काल बाद पहली किस्त का तगादा लगाकर हज कमेटी ऑफ इंडिया पहले ही करीब 21 अरब रुपए जमा करके बैठा है। पहली किस्त का समय पूरा होने के महज 15 दिन बाद अब दूसरी किस्त की डिमांड कर दी गई है। इस कवायद से भी करीब 23 अरब रुपए जमा होने वाले हैं। जून में होने वाली हज यात्रा के आठ माह पहले से जमा कराई जाने वाली इस राशि में बैंक से मिलने ब्याज के घालमेल से जहां शरई तकाजे खराब होने के हालात बन रहे हैं। जल्दबाजी में पैसों का इंतजाम कर पाना भी अकीदतमंदों के लिए मुश्किलभरा साबित हो रहा है।
हज कमेटी ऑफ इंडिया ने हज 2025 के चयनित आवेदकों से हज खर्च की दूसरी किस्त जमा नहीं की चि_ी भेज दी है। इसमें उन्हें 16 दिसंबर तक 1 लाख 42 हजार रुपए प्रति हाजी जमा करने के लिए कहा गया है। गौरतलब है कि इससे पहले 4 अक्टूबर को हुए हज कुर्रा के अगले ही दिन हज कमेटी ऑफ इंडिया ने पहली किस्त जमा करने का फरमान जारी कर दिया था। करीब 1 लाख 30 हजार रुपए की यह पहली किस्त इसी माह की 11 तारीख तक जमा कराई गईं हैं।

जमा होंगे अरबों रुपए
जानकारी के मुताबिक देशभर के हज कोटे करीब 1 लाख 75 हजार में से करीब 70 प्रतिशत कोटा हज कमेटी के मार्फत हज पर जाने वालों के लिए है। इस लिहाज से करीब 1 लाख 40 हजार से अधिक हाजी हज कमेटी ऑफ इंडिया की व्यवस्था के साथ हज यात्रा पर जाएंगे। हज कमेटी द्वारा मांगी गई दूसरी किस्त के रूप में उसे पूरे देश से करीब 23 अरब, 40 लाख रुपए हासिल होंगे। जबकि इससे पहले पहली किस्त के रूप में जमा कराई गई रकम से उसने 21 अरब रुपए जमा कराए हैं। इस लिहाज से हज कमेटी ऑफ इंडिया के पास हाजियों से खर्च की दो किश्तों के रूप में करीब 44 अरब रुपए से ज्यादा राशि जमा होगी। समय से पहले ही जमा कराई जा रही इस राशि का उपयोग जून माह में होने वाले हज के समय होगा।

दिक्कतें कई के साथ
हज यात्रा के लिए चयनित हाजियों को इसके खर्च की राशि जमा करने के लिए अधिकतम समय दिया जाता रहा है। कई बार यह राशि हज यात्रा शुरू होने की तारीखों के चंद दिनों पहले तक भी जमा कराई जाती रही है। इसके चलते आवेदन करने और हज पर जाने के बीच उन्हें माकूल समय मिल जाया करता था। जिससे वे आसानी से अपनी राशि की व्यवस्था करके जमा कर दिया करते थे। लेकिन हज सफर के करीब 8 माह पहले मांग ली गई खर्च राशि ने कई आवेदकों का वित्तीय बजट गड़बड़ा दिया है। सूत्रों का कहना है कि समय से बहुत पहले और बिना पूर्वानुमान के मांगी गई इस राशि के चलते बड़ी तादाद में चयनित आवेदक अपनी पहली किस्त ही समय पर जमा नहीं कर पाए हैं। जिसका नतीजा यह है कि इनके आवेदन निरस्त होने की कगार पर पहुंच गए हैं।

मामला ब्याज का भी
इस्लामी शरीयत के मुताबिक ब्याज लेना और देना प्रतिबंधित है। इस्लाम में इसको हराम करार दिया गया है। लेकिन हज सफर के लिए कमेटी द्वारा वसूली जा रही अरबों रुपए की राशि बैंक में रखी जाएगी, जिससे उसे ब्याज के रूप में भी करोड़ों रुपए मिलना तय है। कहा जा रहा है कि हज व्यवस्थाओं में खर्च होने वाली इस राशि से हज जैसी पवित्र क्रिया दूषित और हराम राशि से जुड़ जाएगी। हज कमेटी ऑफ इंडिया के अधिकारियों का समय पूर्व मांगी जाने वाली राशि को लेकर अलग तर्क है। उनका कहना है कि समय पर सऊदी अरब में होटलों की बुकिंग आदि के लिए यह राशि जरूरी है। बिल्डिंग सिलेक्शन का काम देरी से शुरू होने का नतीजा यह होता है कि हाजियों के लिए दूरस्थ और कम सुविधा वाले होटल मिलते हैं, जिससे भारतीय हाजियों को दिक्कतें उठाना पड़ती हैं।