जगदलपुर । चुनाव में हिस्सा न लेने तथा वोट मांगने आये नेताओं को पकड़ कर जनअदालत में सजा देने की चिट्ठी जो कि दरभा डिविजन के सचिव साईनाथ ने जारी की थी उसकी भारतीय जनता युवा मोर्चा, प्रदेश कार्यसमिति सदस्य तथा नक्सल विरोध अभियान में सदैव सक्रिय रहने वाले नेता मनीष पारेख ने तीखी आलोचना करते हुये कहा कि नक्सली विकास विरोधी तथा आदिवासियों के हत्यारे हैं । ये लोकतंत्र में विश्वास नहीं रखते और तानाशाही के जरिये समानांतर सरकार चलाना चाहते हैं इसलिये ये लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व जिसमें जनता अपनी पसंद और इच्छा से सरकार को चुनती है उस चुनाव का विरोध करते हैं ।जब जब ग्रामीणों और आदिवासियों इनकी तानाशाही और दरिंदगी का विरोध किया है नक्सलियों ने उनकी बेरहमी से हत्या की है।
मनीष पारेख ने आगे कहा कि नक्सली वामपंथ की जिस तानाशाही विचारधारा को मानते हैं उस विचारधारा को समस्त विश्व ने ठुकरा दिया है ये एक खत्म होती विचारधारा है इसलिये नक्सली बौखलाये हुये हैं । ये स्कूल ,आंगनबाड़ी ,सड़क ,हैंडपम्प और बिजली जैसी बुनियादी आवश्यकताओं को बस्तर की जनता तक पहुंचने से रोकते रहे हैं ,कोलेंग ,दरभा और नेतानार जैसे गांव इन माओवादियों के कारण ही स्वास्थ्य ,शिक्षा ,सड़क ,बिजली और पीने के पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित रहे ।हालांकि अभी ये गांव लोगों में जागरूकता और तत्कालीन सरकार के प्रयासों से आंशिक रूप से ही सही ये आधारभूत सुविधायें अब कोलेंग ,दरभा और नेतानार जैसे धुर माओवाद प्रभावित गांव में पहुंच पाई हैं ।
मनीष पारेख का कहना कि मुखबिरी के नाम पर आजतक नक्सलियों ने जाने कितनी हत्यायें की हैं । माओवादियों के आतंक के कारण आज भी कई गांव हैं जो आधारभूत सुविधाओं से वंचित हैं। यदि नक्सली वाकई में बस्तर की जनता की भलाई चाहते हैं तो मैं उनसे अपील करता हूँ कि वो हथियार छोड़कर लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व में हिस्सा लें यदि जनता उनसे सहमत होगी तो उन्हें अवसर अवश्य मिलेगा । लेकिन यदि नक्सलियों की मंशा लोकतंत्र का विरोध कर समानांतर सरकार चलाने की है तो ये सम्भव नहीं है ।भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र है और ये संविधान से ही चलेगा न कि किसी हिंसक संगठन की धमकियों से।