भोपाल । मप्र में इस बार संसाधन विहीन और जर्जर स्कूल बोर्ड परीक्षाओं के लिए केंद्र नहीं बनाए जाएंगे। इस संदर्भ में मंडल ने सभी जिलों के कलेक्टरों को पत्र लिखकर परीक्षा केंद्र चिन्हित करने के लिए कहा है। किसी भी केंद्र पर विद्यार्थियों को टाटपट्टी पर बैठाकर परीक्षा नहीं देना पड़ेगी। संवेदनशील परीक्षा केंद्रों की सीसीटीवी के माध्यम से निगरानी होगी। उन स्कूलों को प्राथमिकता के आधार पर केंद्र बनाया जाएगा, जहां शौचालय, फर्नीचर, बिजली, पानी, कंप्यूटर, प्रिंटर जैसी सुविधा होंगी। प्रदेश में 25 फरवरी से माध्यमिक शिक्षा मंडल (माशिमं) की 10वीं व 12वीं बोर्ड परीक्षा शुरू हो रही है। इसके लिए प्रदेश में करीब चार हजार परीक्षा केंद्र बनाए जाएंगे। अधिकतर परीक्षा केंद्र इस बार भी निजी स्कूलों में बनाए जाने की तैयारी है। वहीं संवदेनशील और अतिसंवेदनशील केंद्रों पर सीसीटीवी अनिवार्य रूप से लगाए जाएंगे। जिन स्कूलों में कैमरे चालू हालत में नहीं होंगे, वहां इसे चालू करवाए जाएंगे। अगर ऐसा संभव नहीं हुआ तो वीडियो रिकार्डिंग की व्यवस्था की जाएगी। बता दें, कि इस बार करीब 17 लाख विद्यार्थी शामिल होंगे।
पिछले वर्ष कुछ जिलों से मिली थी शिकायत
पिछले वर्ष हुई परीक्षा में कई जिलों के केंद्रों से यह शिकायत आई थी परीक्षा केंद्रों में विद्यार्थियों के बैठने तक की व्यवस्था नहीं है। टाटपट्टी पर बैठकर परीक्षा देनी पड़ी। जबकि, माध्यमिक शिक्षा मंडल ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि जिन केंद्रों में विद्यार्थियों के लिए कुर्सी-टेबल की व्यवस्था न हो, उन्हें अव्वल तो परीक्षा केंद्र न बनाया जाए और यदि कोई दूसरा विकल्प न हो तो फर्नीचर की व्यवस्था आसपास के स्कूलों से की जाए। इसके लिए अधिकतम एक लाख रुपये व्यय की सीमा भी रखी गई थी। इसके बाद भी विद्यार्थियों के टाटपट्टी पर बैठकर परीक्षा देने की बात सामने आई थी। इसे देखते हुए माध्यमिक शिक्षा मंडल ने फरवरी से प्रारंभ हो रही 10वीं-12वीं बोर्ड की परीक्षा के लिए कलेक्टरों को पत्र लिखकर कहा कि परीक्षा केंद्रों के निर्धारण में इस बात का ध्यान रखा जाए कि किसी भी विद्यार्थी को टाटपट्टी पर बैठकर परीक्षा न देना पड़े। यदि कहीं ऐसी स्थिति है भी तो अभी से व्यवस्था कर ली जाए। फर्नीचर की कमी होने की दशा में पास के स्कूलों से परिवहन करके व्यवस्था की जाए। किसी भी सूरत में टेंट हाउस से फर्नीचर किराए पर न लिया जाए। परिवहन सहित अन्य व्यवस्था के लिए कलेक्टरों को एक-एक लाख रुपये अलग से दिए जाएंगे। साथ ही परीक्षा केंद्र बनाने के पहले यह भी सुनिश्चित कर लिया जाए कि संबंधित स्कूल में शौचालय, फर्नीचर, बिजली, पानी, कंप्यूटर, प्रिंटर जैसी सुविधा हैं या नहीं।