Home राजनीति महाराष्ट्र की जनता को चुनाव में तय करना ……………..विकास बनाम तेज विकास 

महाराष्ट्र की जनता को चुनाव में तय करना ……………..विकास बनाम तेज विकास 

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मुंबई । महाराष्ट्र के राजनीतिक परिदृश्य में 2024 के विधानसभा चुनावों ने विकास के मुद्दे को केंद्रीय विषय बना दिया है। जहां महाविकास अघाड़ी (एमवीए) ने अपने पूर्व के कार्यकाल को उपलब्धियों के आधार पर प्रचारित किया, वहीं दूसरी ओर महायुति (एनडीए) ने अपने ढाई साल के शासन को विकास गंगा की तरह पेश कर रही है। महायुति सरकार ने अपने शासनकाल के दौरान महिलाओं, किसानों, युवाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में विभिन्न योजनाओं की शुरुआत की। माझी लड़की बहिन योजना और मुफ्त सिलेंडर जैसी योजनाओं ने ग्रामीण महिलाओं को राहत दी। किसान सम्मान योजना में राज्य का योगदान, कृषि बिजली बिल माफी, और 1 रुपये में फसल बीमा ने किसानों को राहत दी। ऑन द जॉब ट्रेनिंग, रोजगार मेला और एमएसएमई सेक्टर में बढ़त ने रोजगार के अवसर बढ़ाए।
वहीं महाविकास अघाड़ी सरकार ने अपने कार्यकाल में गरीबी उन्मूलन, आवास निर्माण, और सामाजिक कल्याण पर जोर दिया। आवास और गरीबों का कल्याण में 6.57 लाख घर बनाकर गरीबों को आवास दिया। प्राकृतिक आपदा में राहत में किसानों को नुकसान के लिए 8701 करोड़ रुपये मंजूर किए। ग्रामीण महिलाओं के लिए आर्थिक सहायता की योजनाएं लागू की गईं।
महाराष्ट्र चुनाव में महायुति ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि उनकी सरकार ने एमवीए की तुलना में दोगुने से अधिक रोजगार, एफडीआई में वृद्धि, और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार पर काम किया। एफडीआई की हिस्सेदारी 26.83 प्रतिशत से बढ़कर 37 प्रतिशत हो गई। रोजगार मेलों में 36,000 की तुलना में 1,51,000 नौकरियां दी गईं। प्राकृतिक आपदाओं में राहत की राशि करीब दोगुनी हो गई।
वहीं इस बार का महाराष्ट्र चुनाव महज विकास कार्यों के मुकाबले का नहीं है, बल्कि यह राज्य की जनता के सामने दो विचारधाराओं का चयन है। महायति तुलनात्मक विकास के आधार पर खुद को बेहतर साबित करने में लगी है, जबकि एमवीए अपने पुराने शासन को संतुलित और प्रगतिशील कहकर चुनावी मैदान में है।
जहां महाराष्ट्र का मतदाता इस बार विकास बनाम तेज विकास के बीच चयन करेगा। महायति ने अपने ढाई साल के कार्यकाल को विकास की मिसाल के रूप में प्रस्तुत किया है, जबकि महाविकास अघाड़ी ने जनता को यह याद दिलाने की कोशिश की है कि उनके शासन में स्थायित्व और समावेशी योजनाएं थीं। अब देखना यह होगा कि जनता विकास के किस मॉडल को अधिक प्रासंगिक मानती है।