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प्रदेश के नए पुलिस प्रमुख दुर्गेश माधव नारियल की तरह बाहर से बेहद सख्त व आक्रामक पर अंदर से नरम व मीठे, विभाग की छवि मजबूत व विश्वसनीय पुलिस बनाने को बे-करार, महिलाओं का सम्मान व बच्चों की मुस्कान सर्वोच्च प्राथमिकता

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प्रसंग एक:  मेरा बेटा किसी दूसरे शहर में रहता है। काम के सिलसिले में उसे कहीं जाना था। फ्लाइट सुबह 06 बजे की थी और घर से हवाई अड्डे की दूरी करीब दो घण्टे की थी इसलिए उसे रात तीन बजे टैक्सी से हवाई अड्डे के लिए निकलना था। उसकी इस बात ने मुझे बेचैन कर दिया। बडे शहरों में टैक्सियां किस तरह चलती हैं, बताने की जरूरत नहीं है। चिंता में नींद नहीं आई। तीन बजे बेटे को फोन किया तो पता चला कि वह हवाई अड्डा पहुंच चुका है। पिता की चिंता से वाकिफ होकर बेटे ने रात ही बस से हवाई अड्डा जाने का फैसला किया। पूरी रात एयरपोर्ट पर बैठा रहा और सुबह गंतव्य के लिए रवाना हुआ।

प्रसंग दो: एक थाने का दृश्य…..सर मेरी लडकी सुबह से घर नहीं आई है, कृपया पता करा दीजिए…थानेदार का जवाब परेशान मत हो, आ जाएगी। किसी के साथ भाग तो नहीं गई?
सर, मेरे साथ बलात्कार हो गया है….थानेदार का जवाब…झूठ क्यों बोल रही है, तेरी मर्जी के बिना कुछ नहीं हुआ होगा।

विभाग में बेहद आक्रामक व सख्त अफसर के रूप में पहचाने जाने वाले प्रदेश ने नए पुलिस प्रमुख दुर्गेश माधव अवस्थी को इस प्रकार की बातें विचलित करती हैं। बाहरी तौर पर वे भले ही नारियल की तरह सख्त दिखाई देते हों लेकिन अंदर से उनका दिल बेहद संवेदनशील तथा मददगार है। शायद यही वजह है कि मात्र दो महीने के कार्यकाल में उन्होंने विभाग के निचले स्तर के कर्मचारियों का विश्वास जीतने में सफलता हासिल कर ली है।

ऊपर बताई गई पहली घटना के बाद उन्होंने सोचा कि जब उन्हें अपने बेटे के लिए इतनी तड़प है तो उन माता-पिताओं के दिल पर क्या गुजरती होगी, जिनके बच्चे गुम हो चुके हैं और पुलिस उनको खोजने में अब तक असफल रही है। इस बात को उन्होंने चुनौती के रूप में लिया है और काबिल अफसरों की एक टीम बनाकर उन्हें एक समयबध्द लक्ष्य दिया है कि वे ऐसे बच्चों को खोजकर उनके अभिभावकों के हवाले करें जो गायब हो चुके हैं। उनका मानना है कि अपने बच्चों को देखकर उनके माता-पिता और माता-पिता को देखकर बच्चे के चेहरे पर जो मुस्कान होगी, वह अमूल्य होगी और इसी कारण से उन्होंने इस योजना का नाम मुस्कान रख दिया।

दुर्गेश माधव अवस्थी इस बात से बेहद आहत हैं कि फरियाद करने थानों में पहुंचने वाली महिलाओं के साथ सम्मानजनक व्यवहार नहीं किया जाता है। उन्हें इस बात का भी दुख है कि सरकार ने महिलाओं की बातों को सुनने के लिए महिला पुलिस की तैनाती की है लेकिन उन महिला कर्मियों का व्यवहार भी आम पुलिस की तरह होता है। लगातार मिल रही शिकायतों को देखते हुए पुलिस महानिदेशक डीएम अवस्थी ने तय किया है कि प्रताड़ना की शिकार कोई भी महिला अपनी शिकायत लेकर पुरुष पुलिस के पास नहीं जाएगी। यह काम जिलों में महिला थानों के हवाले होगा और जहां महिला थाने नहीं हैं, वहां सामान्य थानों में महिला स्टॉफ की तैनाती की जाएगी।

विभाग पर घमण्ड करते हैं नए डीजीपी
डीएम अवस्थी को अपने विभाग पर घमण्ड होता है। उनका कहना है कि विभाग में काबिल अधिकारियों व कर्मचारियों की भरमार है, जो बेहद अनुशासित तथा मेहनती हैं। राज्य निर्माण के बाद प्रदेश में कानून-व्यवस्था बेहतर रखने में इन्हीं अधिकारियों व कर्मचारियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उनका कहना है कि विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों के 200 से अधिक बच्चे उच्च शिक्षा हासिल कर रहे हैं। इनमें इंजीनियरिंग और डॉक्टरी की पढ़ाई करने वाले शामिल हैं। इन बच्चों के बैच बनाकर उनसे नियमित रूप से मिलना उन्होंने शुरू किया है। वे इन बच्चों से बातें करते हैं तथा उनके साथ खाना खाते हैं, खेलते हैं।

मजबूत पुलिस, विश्वसनीय पुलिस
नए पुलिस प्रमुख का सपना है कि वे प्रदेश की पुलिस को मजबूत पुलिस तथा विश्वसनीय पुलिस के रूप में तब्दील करें। इसके लिए उन्होंने प्रयास भी शुरू कर दिए हैं। उनका कहना है कि जनमानस के विश्वास के बिना पुलिस कभी मजबूत नहीं हो सकती है। इसके लिए वे कई स्तरों पर काम कर रहे हैं। उन्हें भरोसा है कि वे पुलिस की छवि को बदलने में जरूर कामयाब होंगे। उनकी प्राथमिकता में महिलाओं का सम्मान, बच्चों की मुस्कुराहट के साथ नौजवानों को नशे से दूर करना है। वे प्रदेशसावियों के सहयोग से इस काम को अंजाम तक पहुंचाना चाहते हैं।

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रोज एक अनजान व्यक्ति की मदद का संकल्प
वैसे तो अटलनगर स्थित पुलिस मुख्यालय में दुर्गेश माधव अवस्थी से मुलाकात कर समस्याएं बताने वालों की कतार लगी रहती है लेकिन शुक्रवार को वे केवल विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों के साथ उनके परिजनों की समस्याएं सुनते हैं। इसके लिए पुलिस मुख्यालय में शुक्रवार को सुबह से देर रात तक लम्बी कतार लगी रहती है। महत्वपूर्ण बात यह है कि श्री अवस्थी अपने अधीनस्थों व उनके परिजनों की समस्याएं सुनते हैं और त्वरित उनका निराकरण भी करते हैं। उनकी कोशिश होती है कि समस्याओं को लेकर उनके पास आने वाला कोई भी व्यक्ति निराश होकर न लौटे। इसी तारतम्य में वे रोज एक ऐसे व्यक्ति की मदद जरूर करते हैं, जिसकी कोई सिफारिश नहीं होती और वह न्याय की उम्मीद लेकर उन तक पहुंचता है।