भोपाल । मप्र के बुधनी और विजयपुर विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव के लिए सोमवार शाम को प्रचार थम गया। 13 नवंबर को दोनों सीटों पर मतदान होंगे। इन उपचुनावों को जहां पूर्व मुख्यमंत्री एवं कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, नरेंद्र सिंह तोमर की अग्रिपरीक्षा माना जा रहा है, वहीं ये चुनाव भाजपा प्रत्याशियों का भविष्य भी तय करेंगे। प्रदेश में दो सीटों पर हो रहे उपचुनाव सत्ता पक्ष और मुख्य विपक्षी दल के लिए प्रतिष्ठा का विषय हैं। सरकार ने दोनों सीटों पर एकतरफा जीत के लिए संगठन के साथ मिलकर पूरी ताकत झोंक दी है। दोनों सीटें जीतकर सरकार पार्टी हाईकमान को संदेश देना चाहती है कि उसकी नीतियों और योजनाओं से जनता सरोकार रखती है, जबकि विपक्ष उपचुनाव जीतकर सरकार की नाकामियों को उजागर करने के साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार करना चाहता है। यही वजह है कि कांग्रेस भी चुनाव में पूरी ताकत से प्रचार में जुटी है।
मप्र की राजनीति में वर्तमान समय पार्टियों का पूरा फोकस बुधनी और विजयपुर पर है। खासकर भाजपा और कांग्रेस ने अपना पूरा दमखम इन दोनों विधानसभा क्षेत्रों में लगा रखा है। दोनों पार्टियां इन सीटों को जीतकर अपनी धाक जमाना चाहती हैं। बुधनी सीट पर भाजपा के रमाकांत भार्गव और कांग्रेस के राजकुमार पटेल के बीच और विजयपुर में भाजपा के रामनिवास रावत और कांग्रेस के मुकेश मल्होत्रा के बीच मुख्य मुकाबला होगा। चुनाव परिणाम 23 नवंबर को घोषित होंगे। दोनों सीटों पर उपचुनाव भाजपा प्रत्याशियों के लिए खास मायने रखते हैं। क्योंकि इस चुनाव में अगर ये जीतते हैं, तभी आगे की राजनीति में इनको जगह मिलेगी। इसलिए प्रत्याशियों के साथ ही पूरी भाजपा ने इन्हें जिताने के लिए पूरा दमखम लगा रखा है। विजयपुर सीट पर कुल 2,54,647 मतदाता हैं। इनमें पुरुष मतदाता 1,33,554 और महिला मतदाता 1,21,091 हैं। यहां कुल 11 प्रत्याशी उपचुनाव के मैदान में हैं। बुधनी सीट पर कुल मतदाता 2,76,591 हैं। इनमें पुरुष मतदाता 1,43,111,महिला मतदाता 1,33,280 हैं। यहां कुल 20 प्रत्याशी हैं।
जीते तो बढ़ेगा कद
विजयपुर में उपचुनाव के नतीजों से वन मंत्री व भाजपा प्रत्याशी रामनिवास रावत का राजनीतिक भविष्य तय होगा। रामनिवास रावत कांग्रेस छोडक़र भाजपा में शामिल हुए हैं। उनके विधायक पद से इस्तीफा देने के कारण इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है। अगर वे चुनाव जीत जाते हैं, तो उनका मंत्री पद बरकरार रहेगा और पार्टी में उनका कद बढ़ेगा, लेकिन यदि रावत चुनाव हार जाते हैं, तो उनका राजनीतिक भविष्य खतरे में पड़ सकता है। उनकी स्थिति पूर्व मंत्री इमरती देवी और गिर्राज दंडोतिया जैसी हो सकती है। ये दोनों नेता 2020 में कांग्रेस छोडक़र भाजपा में चले गए थे। उपचुनाव में हार के बाद उन्हें मंत्री पद छोडऩा पड़ा था। यही वजह है कि रावत उपचुनाव में जीत के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। वहीं लोकसभा चुनाव में विदिशा से सांसद रमाकांत भार्गव का टिकट काटकर शिवराज सिंह चौहान को प्रत्याशी बनाया गया था। उपचुनाव में बुधनी से टिकट मिलने से भार्गव के लिए आगे की राजनीति के द्वार खुल गए हैं। यदि भार्गव चुनाव जीतते हैं, अगले चुनाव में सिटिंग एमएलए के नाते पार्टी के लिए उनका टिकट काटना आसान नहीं होगा, लेकिन उपचुनाव में हार उन्हें राजनीतिक हाशिए पर पहुंचा सकती है।
कांग्रेस प्रत्याशियों के पास खोने को कुछ खास नहीं
जहां एक तरफ भाजपा प्रत्याशियों का सियासी भविष्य ये उपचुनाव तय करेंगे, वहीं बुधनी से कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमार पटेल और विजयपुर से कांग्रेस उम्मीदवार मुकेश मल्होत्रा के पास खोने को कुछ खास नहीं है। बुधनी से कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमार पटेल छठी बार विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। वे 1992 में बुधनी से उपचुनाव, 1993 व 2003 में विधानसभा चुनाव और पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के सामने 2006 का उपचुनाव लड़ चुके हैं। पटेल ने 2023 में भोजपुर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा था। पांच चुनावों में पटेल ने सिर्फ एक बार 1993 में जीत दर्ज की थी। ऐसे ही विजयपुर से कांग्रेस प्रत्याशी मुकेश मल्होत्रा इसी सीट से पिछला चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में हार चुके हैं, हालांकि उन्हें 44 हजार 128 वोट मिले थे और वे तीसरे स्थान पर रहे थे। इनमें से जो भी प्रत्याशी चुनाव जीतेगा, उसका राजनीतिक बद बढ़ जाएगा और उसके लिए भविष्य में सियासत की राह लंबी होगी।