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चीन के रोवर की चौंकाने वाली खोज: अरबों साल पहले मंगल ग्रह पर था विशाल महासागर, इस तरह हुआ खुलासा…

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चीन के झुरोंग रोवर की मदद से वैज्ञानिकों को नए प्रमाण मिले हैं कि मंगल ग्रह पर अरबों साल पहले एक महासागर था, जो आज के सूखे और वीरान मंगल से बिलकुल अलग था।

गुरुवार को वैज्ञानिकों ने बताया कि झुरोंग ने 2021 में मंगल के उत्तरी क्षेत्र में उतरकर अपने अभियान की शुरुआत की थी। इसने ऐसे भूवैज्ञानिक संकेतों का पता लगाया है जो प्राचीन तटरेखा के अस्तित्व की ओर इशारा करते हैं।

इस रोवर ने मंगल की सतह पर यूटोपिया प्लेनिटिया नामक स्थान पर चट्टानों का विश्लेषण किया, जो ग्रह के उत्तरी गोलार्ध में स्थित एक बड़ा मैदान है।

चीन के तियानवेन-1 ऑर्बिटर, नासा के मार्स रीकॉनिसेंस ऑर्बिटर और झुरोंग जैसे अन्य रोबोटिक उपकरणों द्वारा जुटाए गए आंकड़े बताते हैं कि एक समय मंगल ग्रह पर एक महासागर मौजूद था, उस दौर में जब मंगल धीरे-धीरे ठंडा और शुष्क हो रहा था और इसका अधिकांश वातावरण समाप्त हो गया था।

शोधकर्ताओं के अनुसार, सतह पर बनी संरचनाएं, जैसे कि गर्त, तलछट चैनल और मड वोल्केनो फॉर्मेशन, एक तटरेखा की ओर इशारा करते हैं, जिसमें उथले और गहरे समुद्री वातावरण के संकेत भी पाए गए।

हांगकांग पॉलिटेक्निक यूनिवर्सिटी के ग्रह वैज्ञानिक बो वू इस अध्ययन के प्रमुख लेखक हैं। उन्होंने बताया, “हम अनुमान लगाते हैं कि मंगल के यूटोपिया प्लेनिटिया का जलप्रवाह लगभग 3.68 अरब साल पहले हुआ था।

उस समय महासागर की सतह संभवतः एक भूवैज्ञानिक दृष्टि से कम समय के लिए जमी हुई रही होगी।” शोधकर्ताओं का कहना है कि यह महासागर लगभग 3.42 अरब साल पहले समाप्त हो गया था।

वहीं, अध्ययन के सह-लेखक और हांगकांग पॉलिटेक्निक यूनिवर्सिटी के ग्रह वैज्ञानिक सेर्गेई क्रासिलनिकोव ने कहा, “पानी में भारी मात्रा में तलछट थी, जिसने जमाव की परतदार संरचना बनाई।” तलछट का मतलब है, पानी या किसी और द्रव पदार्थ के नीचे जमा मैल या गाद।

पृथ्वी और सौरमंडल के अन्य ग्रहों की तरह ही, मंगल का निर्माण लगभग 4.5 अरब साल पहले हुआ था। उस समय जब महासागर था, तब मंगल एक मेहमाननवाज ग्रह से दूर होते हुए एक शुष्क ग्रह में बदल रहा था।

शोधकर्ता वू ने कहा, “मंगल पर प्राचीन महासागर की उपस्थिति पर कई दशकों से अध्ययन हो रहा है, फिर भी इस पर कई सवाल बने हुए हैं। ये खोजें न केवल मंगल पर महासागर के सिद्धांत को और मजबूती देती हैं, बल्कि इसके संभावित विकास पर भी चर्चा प्रस्तुत करती हैं।”

वैज्ञानिकों का मानना है कि पानी जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण घटक है, और प्राचीन महासागर के होने की संभावना यह सुझाव देती है कि मंगल पर कभी सूक्ष्मजीव जीवन पनप सकता था। क्रासिलनिकोव ने कहा, “मंगल के इतिहास की शुरुआत में, जब इसका वातावरण घना और गर्म था, तो सूक्ष्मजीव जीवन के अस्तित्व की संभावनाएं ज्यादा थीं।”

मिथकीय चीनी अग्निदेवता के नाम पर नामित सौर ऊर्जा से चलने वाला झुरोंग रोवर मई 2021 में मंगल की सतह पर अपने छह वैज्ञानिक उपकरणों का उपयोग करके अपने कार्य में लगा था और मई 2022 में हाइबरनेशन मोड में चला गया।

अपने तीन महीनों के निर्धारित मिशन समय से अधिक कार्य करने के बाद यह निष्क्रिय हुआ। शोधकर्ता मंगल की सतह पर मौजूद पानी का गहन अध्ययन कर यह समझने का प्रयास कर रहे हैं कि क्या यह पानी अभी भी मंगल के अंदर गहरे दबा हुआ हो सकता है।

अगस्त में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन, जिसमें नासा के इनसाइट लैंडर द्वारा प्राप्त सिस्मिक डेटा का उपयोग किया गया था, उसने संकेत दिया कि मंगल की सतह के नीचे टूटे हुए आग्नेय शिलाओं में एक विशाल जलाशय हो सकता है।

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