Home देश – विदेश बिहार की स्वर कोकिला पंचतत्व में विलीन, बेटे ने दी मुखाग्नि

बिहार की स्वर कोकिला पंचतत्व में विलीन, बेटे ने दी मुखाग्नि

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पटना। बिहार की स्वर कोकिला शारदा सिन्हा का 72 साल की उम्र में मंगलवार की रात नई दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया। शारदा सिन्हा के पार्थिव शरीर को राजेंद्र नगर स्थित उनके आवास पर बुधवार को लाया गया। आज राजधानी के गुलाबी घाट में राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। बेटे अंशुमान ने उन्हें मुखाग्नि दी।
 
शारदा सिन्हा को श्रद्धांजलि देने आ रहे भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा
गायिका शारदा सिन्हा को भावभीनी श्रद्धांजलि देने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा गुरुवार दोपहर पटना पहुंचेंगे। एक बजे के आसपास उनका आगमन होना है। हवाई अड्डे से वे सीधे राजकीय अतिथिशाला जाएंगे। वहां से उनके मुख्यमंत्री आवास जाने का कार्यक्रम है। कुछ देर के लिए वे विधान पार्षद अनिल शर्मा के घर छठ अनुष्ठान में सहभागी होंगे। उसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ राजधानी में गंगा किनारे छठ घाटों का भ्रमण करेंगे। शाम में वे राजेंद्र नगर में शारदा सिन्हा के आवास जाएंगे और उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। उसके बाद वे दिल्ली के लिए प्रस्थान कर जाएंगे।

पीएम मोदी सहित कई दिग्गजों ने जताया शोक
शारदा सिन्हा के निधन पर देश के प्रधानमंत्री से लेकर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव , उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा , सम्राट चौधरी समेत बालीवुड हस्तियों ने इंटरनेट मीडिया पर शोक जताया है।

सीएम ने बंधाया ढांढस
प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शारदा सिन्हा के परिवार से मिल कर उनका ढांढस बंधाया। श्रद्धा सुमन अर्पित करने आए पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि शारदा सिन्हा से लंबे समय से मधुर संबंध रहा।

पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि शारदा सिन्हा वेदना में भी छठ के गीत गाती रही हैं। दिल्ली में इलाज के दौरान भी उनसे मिलने का अवसर मिला। वे उस दौरान भी छठ के गीत गाती रहीं। शारदा सिन्हा ने आखिरी गीत छठ से पूर्व बिहार वासियों के लिए कब हरब दुख छठी मैया.. गाया था। अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि शारदा सिन्हा के निधन से लोक संस्कृति गाथा का एक 
अध्याय समाप्त हो गया। स्वर कोकिला के रूप में पद्म भूषण से अलंकृत ऐसी गायिका बिरले मिलेंगी। वे करोड़ों लोगों के दिलों में हमेशा बसी रहेंगी। जब तक धरती पर सूर्य को अर्घ्य पड़ता रहेगा तब तक एक अर्घ्य उनके नाम से भी पड़ेगा।

अश्विनी चौबे ने कहा कि दो वर्ष पूर्व इनके घर पर आना हुआ था। घंटों बातें हुई थीं। इस दौरान उन्होंने छठ के अलावा कई लोक गीत को भी गाकर सभी को आनंदित किया था।

वे कहती थीं की बचपन के दिनों में माता-पिता के साथ बक्सर में रहती थी। उस दौरान छठ के मौके पर बक्सर के राम रेखा घाट पर छठ को देखने और गीत सुनने के बाद छठ गीतों के प्रति आकर्षण बढ़ा।

दो वर्ष पूर्व बक्सर में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में शारदा सिन्हा ने अपनी प्रस्तुतियों से सभी का मन मोहा लिया। कार्यक्रम समापन के बाद उन्होंने रोते हुए कहा था कि शायद यहां के लोगों के लिए आखिरी कार्यक्रम होगा।