नई दिल्ली । दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक एमसीडी पार्षद द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें दिल्ली सरकार और एमसीडी को एमसीडी के लिए आवंटित धन बढ़ाने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि धन का उपयोग सड़क मरम्मत, स्कूलों, पार्कों, औषधालयों और मनोरंजन केंद्रों के रखरखाव सहित विभिन्न कल्याणकारी गतिविधियों के लिए किया जाना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अगुवाई वाली पीठ में न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला भी शामिल थे, जिन्होंने याचिकाकर्ता को एमसीडी सदन के भीतर और स्थायी समिति के समक्ष मामला उठाने की सलाह दी और बाद में याचिका का निपटारा कर दिया। पीठ ने मामले का निपटारा करते हुए मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा कि हम दिल्ली उच्च न्यायालय के लिए धन सुरक्षित करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, तो हम आपके धन को बढ़ाने के लिए निर्देश कैसे जारी कर सकते हैं? आपको इस मुद्दे को एमसीडी सदन में उठाना चाहिए। याचिका में दिल्ली सरकार और एमसीडी को निर्वाचित दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) पार्षदों को पर्याप्त धन आवंटित करने में उनकी कथित विफलता के संबंध में निर्देश देने की भी मांग की गई है। दिल्ली के सिद्धार्थ नगर से निर्वाचित पार्षद सोनाली द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि एमसीडी पार्षदों के लिए अपर्याप्त फंडिंग ने उनके वैधानिक कर्तव्यों को पूरा करने की उनकी क्षमता में बाधा उत्पन्न की है।