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भारत भवन में 3 से 6 नवंबर तक एकात्म संवाद एवं “नृत्य में अद्वैत“ विषय पर होगी कार्यशाला

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भोपाल : आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास, संस्कृति विभाग द्वारा भारत भवन भोपाल में 3 नवंबर को एकात्म संवाद एवं 4 से 6 नवंबर तक पहली बार नृत्य से जुड़े प्रमुख कलाकारों एवं विषय-विशेषज्ञों के साथ कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। रविवार 3 नवंबर को शाम 6 बजे से आयोजित ‘एकात्म संवाद‘ में स्वामिनी विमलानंद सरस्वती के साथ दुबई, यूएई में न्यूरोलॉजिस्ट एवं माई ब्रेन डिजाइन की संस्थापक डॉ. श्वेता अदातिया संवाद करेंगी।

कार्यशाला में देश के प्रमुख नृत्यकार एवं विशेषज्ञ होंगे शामिल

भारत भवन में पहली बार इस तरह के अनूठे एवं नवीन सन्दर्भ में 'नृत्य में अद्वैत' विषयों पर तीन दिवसीय कार्यशाला होगी,जिसमें नृत्य से जुड़े विविध-सत्र आयोजित होंगे। इसमें विश्व प्रसिद्ध भरतनाट्यम नृत्यांगना पद्म विभूषण डॉ. पद्मा सुब्रमण्यम, नृत्यांगना डॉ.पद्मजा सुरेश, केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी की अध्यक्ष डॉ. संध्या पुरेचा, कला मर्मज्ञ डॉ.राधावल्लभ त्रिपाठी सहित 60 नृत्य अध्येता एवं कलाकार सम्मिलित होंगे। यह कार्यशाला 4 से 6 नवम्बर तक प्रतिदिन प्रातः 9 बजे से रात्रि 8 बजे तक चलेगी,जिसमें प्रतिदिन शाम 7 से 08:30 बजे तक कलारसिकों के लिए विशेष-सत्र आयोजित होगा। इस सत्र में शहर के कलाप्रेमी, शोधार्थी और जिज्ञासु शामिल हो सकते है।

ज्ञात हो कि स्वामिनी विमलानंद सरस्वती जी ने आर्किटेक्चर में ऑनर्स डिग्री प्राप्त करने के बाद, यात्राओं ने उन्हें जीवन के बोध, जगत् की संरचना से होते हुए अस्तित्व के मूल में जाने के लिए प्रेरित किया। चिन्मय मिशन के वेदान्त पाठ्यक्रम से आध्यात्मिक ज्ञान की गहनता प्राप्त की। शिक्षा के प्रति कौतूहल ने गुरुदेव के दर्शन को चिन्मय विज़न कार्यक्रम में मूर्त रूप देने में पूर्णता पाई, जो अब बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति में परिलक्षित होता है। चिन्मय मिशन 25 वर्षों तक शैक्षणिक आयाम का नेतृत्व करते हुए शिक्षा के क्षेत्र में बहुमुखी योगदान से लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया। एक सक्रिय आध्यात्मिक गुरु, गंभीर साधक, प्रकृति प्रेमी, विपुल लेखिका एवं लोकप्रिय वक्ता के रूप में सभी आयु वर्ग के साधकों के मार्गदर्शन हेतु विश्व भर में अनेक यात्राएँ की हैं। गूढ आध्यात्मिक विषयों को सरलता से आम जन मानस के मध्य प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया है। वेदान्त, भारतीय संस्कृति, युवा एवं बाल-केन्द्रित गतिविधियाँ और शिक्षा सिद्धान्त आदि विषयों पर उल्लेखनीय पुस्तकें प्रकाशित है। साथ ही यू- ट्यूब वार्ताएँ विश्वभर में अत्यंत लोकप्रिय हैं।

कार्यशाला की नृत्य विशेषज्ञ एवं मार्गदर्शक पद्मविभूषण डॉ.पद्मा सुब्रमण्यम विश्व प्रसिद्ध भरतनाट्यम नृत्यांगना होने के साथ ही संस्कृति अध्येता, कलाविद्, नृत्य-गुरु, लेखक एवं नृत्य निर्देशक हैं। पिता द्वारा चेन्नई में संस्थापित नृत्य विद्यालय में चौदह वर्ष की आयु से ही नृत्य-शिक्षा आरम्भ कर सुविख्यात नृत्यांगना सुश्री रुक्मिणी देवी से नृत्य का सघन मार्गदर्शन प्राप्त किया। उन्होंने नटराज के 108 करण विषय पर शोध कर पीएच.डी. उपाधि प्राप्त की। बहुप्रतिष्ठित मंचों पर भरतनाट्यम की प्रस्तुति कर ख्याति अर्जित की है। कई गरिमापूर्ण विचार-सभाओं में प्रेरणापरक व्याख्यान दिये हैं। नृत्य में नाट्यशास्त्र को अत्यन्त प्रामाणिक ढंग से प्रस्तुत किया है। नृत्य और भारतीय संस्कृति में विशिष्ट योगदान के लिए देश-विदेश में एक सौ पैंतीस से अधिक सम्मानों से आपको अलंकृत किया गया है। संगीत नाटक अकादमी का अकादमी अवार्ड और अकादमी रत्न तथा भारत सरकार द्वारा पद्मश्री, पद्मभूषण और पद्मविभूषण सम्मान विशेष उल्लेखनीय है। देश की लब्धप्रतिष्ठित संस्थाओं में विभिन्न महत्वपूर्ण भूमिकाओं में उल्लेखनीय योगदान है, जैसे इन्दिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट, बहुकला केन्द्र भारत भवन, के. सुब्रमण्यम मेमोरियल ट्रस्ट, तथा आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास आदि प्रमुख हैं।

एकात्म संवाद हेतु आमंत्रित डॉ. श्वेता अदातिया युवा न्यूरोलॉजिस्ट, वर्तमान में दुबई, यूएई के गर्गश हॉस्पिटल में कार्यरत हैं एवं माई ब्रेन डिजाइन की संस्थापक हैं। चिकित्सा एवं न्यूरोलॉजी में 13 से अधिक पुरस्कार और स्वर्ण पदक हैं। कनाडा के कैलगरी विश्वविद्यालय से स्ट्रोक फेलो हैं। प्रबंधन पाठयक्रम केम्ब्रिज विश्वविद्यालय, यूके से पूरा किया है। केम्ब्रिज में प्रबंधक कोर्स में शिक्षारत रहते हुए ब्राइटेस्ट माइंडस इन केम्ब्रिज छात्रवृत्ति प्राप्त है। वर्ष 2021 में यू.एन. के एन.सी.डी. केयर कार्यक्रम में महत्वपूर्ण योगदान दिया। आपने स्ट्रोक और माइग्रेन चिकित्सा विशेषज्ञ के रूप में 5 से अधिक महाद्वीपों के 50 हजार से अधिक रोगियों के जीवन को रूपांतरित किया है। एक उत्कृष्ट वक्ता के रूप में TEDx जैसे कई मचों पर आमंत्रित किया जा चुका है। प्रसिद्ध पुस्तक फ्यूचर रेडी नाउ के माध्यम से न्यूरो साइंस आधारित करियर विकल्पों के चयन हेतु विभिन्न स्कूल और कॉलेजों में 200 से अधिक कार्यशालाएँ की हैं।

इस कार्यशाला की मूल संकल्पना है कि जीवन में हम जो कुछ भी करते हैं, वह आनंद की खोज में ही होता है। उपनिषदों में, आनंद की पहचान ब्रह्म से की जाती है, जिसे "रसो वै सः" के रूप में व्यक्त किया गया है। जो इस रस को प्राप्त करते हैं, वे आनंद स्वरूप हो जाते हैं, जैसा कि कहा गया है: "रसं ह्येवायं लब्ध्वा आनन्दीभवति", नृत्य अद्वैत की अवस्था को प्राप्त करने का सहज माध्यम है। जब प्रस्तोता प्रस्तुति करते हैं, तो वे अपनी प्रस्तुति के साथ "एक" हो जाते हैं। प्रस्तोता और प्रस्तुति का भेद समाप्त हो जाता है। इन्हीं विविध आयामों को समेटे हुए इस कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है।