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मध्यप्रदेश में दस हाथियों की मौत से मचा हड़कंप, नमूने जांच के लिए लैब भेजे

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बांधवगढ़। मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ बाघ अभयारण्य में पिछले तीन दिनों में 10 जंगली हाथियों की मौत हो जाने से वन विभाग में हड़कंप मच गया है। मामले की गहन जांच के लिए विशेषज्ञों ने कई स्थानों से नमूने लिए हैं और उन्हें यूपी स्थित आईसीएआर-आईवीआरआई और मध्यप्रदेश के सागर जिले में स्थित फॉरेंसिक लैब में भेजे जा रहे हैं। अधिकारियों के मुताबिक हाथियों की मौतों का सिलसिला मंगलवार से शुरू हुआ, जब खितोली रेंज के सांखनी और बकेली इलाके में चार हाथी मृत मिले। इसके बाद बुधवार को चार और गुरुवार को दो हाथियों की मौत हो गई थी लगातार हो रही इन मौतों ने वन्यजीव विशेषज्ञों और वन विभाग के अधिकारियों की चिंतित बढ़ा दी है।

हाथियों के विसरा के नमूने एसडब्ल्यूएफएच भेजे गए 
अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) एल कृष्णमूर्ति ने बताया कि मृत हाथियों के लिए गए जैविक नमूने, जिसमें विसरा, जिगर और गुर्दे यूपी के बरेली जिले में स्थित इज्जतनगर के आईवीआरआई और सागर की फॉरेंसिक जैब में भेजे जा रहे हैं। इससे पहले भी हाथियों के विसरा के नमूने जबलपुर स्थित स्कूल ऑफ वाइल्डलाइफ फॉरेंसिक एंड हेल्थ (एसडब्ल्यूएफएच) भेजे गए थे, ताकि मौत के वास्तविक कारणों का खुलासा हो सके।

हाथियों की रहस्यमयी मौतें चिंता का कारण 
राज्य सरकार ने इस मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय समिति बनाई है, जिसमें एल कृष्णमूर्ति को अध्यक्ष बनाया है। यह समिति हाथियों की मौत के कारणों का पता लगाने के साथ ही भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए जरुरी कदम उठाने पर भी विचार करेगी। बांधवगढ़ अभयारण्य, जो मध्यप्रदेश के उमरिया और कटनी जिलों में फैला हुआ है, वन्यजीवों का एक प्रमुख क्षेत्र है, जहां हाथियों की यह रहस्यमयी मौतें चिंता का कारण बन गई हैं।

वन्यजीव संरक्षण और हाथियों की सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती 
यह घटना वन्यजीव संरक्षण और हाथियों की सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती है। हाथियों की मौतें न केवल पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं, बल्कि वन्यजीव प्रबंधन के लिए भी चेतावनी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इन मौतों के कारणों का शीघ्रता पता लगाना और उन्हें रोकने के उपाय करना बहुत जरुरी है, ताकि अभयारण्य की वन्यजीव संपदा सुरक्षित रह सके। बांधवगढ़ बाघ अभयारण्य में हो रही हाथियों की असामान्य मौतों का मामला अब गंभीरता से लिया जा रहा है। वन विभाग और फॉरेंसिक टीमों के मिलकर जांच करने से उम्मीद है कि जल्द ही मौतों का कारण पता लगाया जा सकेगा, जिससे इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सके।