Home धर्म – ज्योतिष  धनवंतरी पूजन से महापर्व का आगाज  

 धनवंतरी पूजन से महापर्व का आगाज  

4
0

धनतेरस पर बाजार रहे गुलजार 

कार्तिक कृष्णपक्ष त्रियोदशी को भगवान धनवंतरी के पूजन अर्चन के साथ 6 दिवसीय महापर्व का मंगलवार को अगाज हो गया। समुद्र मंथन में निकलें रत्नों में एक धनवंतरी को आयुर्वेद का जनक माना जाता हैं, इन्हें स्वास्थ्य का देवता भी कहा जाता हैं। वहीं शाम को धन के देवता कुबेर का पूजन कर उनसे सुख समृद्धि की कामना की गई। 
पांच पर्वों के मेल से बने दीपोत्सव का पहला दिन खरीदी के नाम रहा। आज के दिन लोगों ने सोना चांदी के साथ विभिन्न घरेलू सामग्री की खरीददारी की। ऐसी मान्यता है कि धन त्रियोदशी को स्वर्णाभूषण तांबा, पीतल के बर्तन खरीदना शुभ होता है। धातु खरीदने से धन देवता कुबेर प्रसन्न होते हैं और वर्ष भर सुख समृद्धि बनी रहती है। सुबह से ही शहर के बाजारों में महिलाओं, पुरुषों की अच्छी खासी भीड़ देखी गई। बर्तन, सराफा, पटाखों, लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां, लाई बताशा की दुकानों के साथ ही इलेक्ट्रानिक आइटम, व्हीकल्स शो रुम में काफी भीड़ देखी गई। खरीददारी का यह क्रम देर रात तक चलता रहा। हर किसी ने कुछ न कुछ खरीदकर सुख समृद्धि बनाए रखने की कामना धन देवता से की।

नरक चतुर्दशी आज……..
इस साल दो अमावस्या की वजह से पांच दिवसीय पर्व सत्र 6 दिन का हो गया। आज बुधवार को नरक चतुर्दशी का त्यौहार मनाया जाएगा। इसे रुप चौदस भी कहा जाता हैं। ज्योतिषाचार्य पं.पीएल गौतमाचार्य के अनुसार इस दिन कृष्ण ने नरकासुर नामक दैत्य का संहार कर सोलह हजार राज कन्याओं को उसकी कैद से मुक्त कराकर उनसे विवाह रचाया था। उस महादैत्य ने मरते समय भगवान से वरदान मांगा कि उसकी मृत्यु का दिन सर्वत्र खाने-पीने के रुप में मनाया जाए। वस्तुत: छोटी दीवाली या रुप चौदस भी इसी आयुर्वेद की महत्ता का परिचायक है।

 
हनुमान उत्सव का पर्व चौदस………
शास्त्रों में उल्लेख है कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की अर्धरात्रि में देवी अंजनि के उदर से हनुमान जन्में थे। देश के कई स्थानों में इस दिन हनुमान जन्मोत्सव के रुप में भक्ति भाव से मनाया जाता है। इस दिन वाल्मीकि रामायण, सुंदरकांड व हनुमान चालीसा  का पाठ कर चूरमा, केला व अमरुद आदि फलों का प्रसाद वितरित किया जाता है।