इंदौर । नंदानगर स्थित कर्मचारी राज्य बीमा निगम का आधुनिक अस्पताल तैयार हो गया है। 300 बिस्तरों के अस्पताल पर लगभग 350 करोड़ की राशि खर्च की गई है और सुपर स्पेशलिटी की तरह ही इसे बनाया गया है, जहां पर एमआरआई, सिटी स्कैन सहित कई महंगी जांचें भी हो जाएगी। 6 लाख स्क्वेयर फीट में बना यह अस्पताल 6 मंजिला है और मरीजों के लिए भोजन बनाने की व्यवस्था भी यही रहेगी। तीन साल पहले नंदानगर के इस अस्पताल का निर्माण शुरू हुआ था और केन्द्र सरकार ने ही इसके लिए राशि उपलब्ध कराई है। अभी निजी अस्पतालों में इलाज कराना पड़ता है। मगर अब उसकी जरूरत नहीं पड़ेगी। सरकारी कर्मचारियों व अन्य को बीमा अस्पताल में भी इलाज की सुविधा मिल जाती है। सालों पुराने नंदानगर में भी राज्य कर्मचारी बीमा निगम के अस्पताल में मरीजों का इलाज होता रहा। मगर पुराने अस्पताल को तोडक़र नए अस्पताल का निर्माण 2021 में शुरू किया गया और कोविड के कारण थोड़ा विलंब भी हुआ। मगर अब अस्पताल बनकर तैयार भी हो गया है और उसका संचालन कल उद्घाटन के बाद शुरू हो जाएगा। 350 करोड़ रुपए की लागत इस पर आई है और सुपर स्पेशिएलिटी की तरह इसमें भी आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं का लाभ मरीजों को मिलेगा। वहीं निजी अस्पतालों में होने वाली एमआईआर, सिटी स्कैन जैसी महंगी जांच भी अब यहीं हो सकेगी। 6 मंजिला इस अस्पताल में मरीजों के इलाज के दौरान उनके परिजनों के ठहरने की भी कुछ व्यवस्था है, तो साथ ही भोजन के लिए भी अत्याधुनिक रसोई घर निर्मित किया गया है।
वहीं पीथमपुर में भी कर्मचारी राज्य बीमा निगम का 100 बिस्तरों का अस्पताल निर्मित होना है। हालांकि बीते 10 सालों से इसकी प्रक्रिया चल रही है और अब इसके शिलान्यास की कल बारी है। इंडोरामा में 8 एकड़ जमीन पर यह अस्पताल बनना है और लागत भी 125 करोड़ रुपए से अधिक आंकी गई है। दरअसल, पीथमपुर में बड़ी संख्या में नए उद्योग तो आ ही रहे हैं, वहीं सालों से चल रहे उद्योगों के लाखों श्रमिकों को इलाज के लिए निजी अस्पतालों के भरोसे रहना पड़ता है। ढाई से तीन लाख श्रमिकों के वेतन से भी ईएसआईसी के नाम पर राशि कटती है, जो कि सालाना 150 करोड़ रुपए तक होती है। लगभग 9 साल पहले केन्द्र सरकार ने इस अस्पताल की मंजूरी दी थी और फिर बाद में एमपीआईडीसी जो कि पूर्व में एकेवीएन के नाम से जाना जाता था, उसने अस्पताल निर्माण के लिए सेक्टर-3 इंडोरामा में लगभग 34 हजार स्क्वेयर मीटर यानी साढ़े 3 लाख स्क्वेयर फीट से अधिक जमीन का आबंटन किया है और 2013 में इस अस्पताल को बनाने की घोषणा की गई थी। उसके बाद सरकार भी बदल गई, मगर अस्पताल का निर्माण ही शुरू नहीं हो सका। पिछले दिनों फिर जब इसकी मांग तेज हुई तो सीपीडब्ल्यूडी ने सवा सौ करोड़ रुपए निर्माण पर खर्च होने का अंदाजा लगाया और फिर श्रम विभाग के जरिए 117 करोड़ रुपए की मंजूरी हुई। पीथमपुर के लाखों लोगों को इलाज के लिए इंदौर आना पड़ता है और वहां सिर्फ डिस्पेंसरी ही है। अभी लगातार नए उद्योग भी बड़ी संख्या में पीथमपुर में स्थापित हो रहे हैं और 100 बिस्तरों का यह अस्पताल भी कम पड़ेगा। मगर फिलहाल तो इसका निर्माण भी तय समय सीमा में हो जाए तो भी श्रमिकों को राहत मिलेगी। पीथमपुर में कुछ समय पहले तक ईएसआईसी के पास डेढ़ लाख से अधिक कर्मचारियों का पंजीयन था, जबकि अब यह संख्या 3 लाख तक पहुंच गई है। बीच में यह भी चर्चा हुई कि केन्द्रीय मंत्री को भूमिपूजन के लिए समय नहीं मिला इसलिए अस्पताल का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका। जबकि अस्पताल की पूरी प्लानिंग तैयार हो गई थी।