जिले में कई प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर स्थित हैं, जो जिले की सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक आस्था का प्रतीक हैं. ये मंदिर सदियों से यहां की धार्मिक परंपराओं को सहेजे हुए हैं और इनकी वास्तुकला अद्वितीय है. इन मंदिरों में से हर एक की अपनी विशेष पहचान और महत्व है, जो जालोर को एक पवित्र धार्मिक स्थल बनाते हैं. लेकिन इन सभी मंदिरों के बीच, भीनमाल में रामसीन रोड पर स्थित लक्ष्मीवल्लभ पार्श्वनाथ, जिसे 72 जिनालय मंदिर नाम से भी जाना जाता है, एक विशेष स्थान रखता है.
इस मंदिर का निर्माण एक भव्य श्री यंत्र की रेखा पर किया गया है, जो मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है. इस मंदिर को बनवाने का उद्देश्य यह था कि यहां आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है. यह मंदिर जैन धर्म के 72 तीर्थंकरों की प्रतिमाओं से सुसज्जित है और इसे विशेष रूप से वर्तमान, भूत और भविष्य की त्रिलोक संरचना पर आधारित किया गया है, जो इसे अनूठा बनाता है.
संगमरमर से निर्मित अद्भुत मंदिर
करीब सौ बीघा भूमि में फैला यह मंदिर करीब 63,504 वर्ग फुट क्षेत्र में संगमरमर से निर्मित है, जो अपनी सुंदरता और भव्यता से हर आने वाले को मंत्रमुग्ध कर देता है. इसकी स्थापना सुमेरमल लुंकड़ द्वारा की गई, जिन्होंने साल 1991 में त्रिस्तुतिक जैनाचार्य हेमेंद्रसूरीश्वर म.सा. से प्रेरणा लेकर इस पवित्र तीर्थ का निर्माण आरंभ किया. भूमि चयन के लिए वास्तुशास्त्र और दिशाओं का ध्यान रखते हुए रामसीन रोड पर जगह तय की गई और 2 मई 1996 को शुभ मुहूर्त में इस महातीर्थ की नींव रखी गई. फरवरी 2011 में इस मंदिर का प्रतिष्ठा महोत्सव संपन्न हुआ और इसे श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया.
दर्शन मात्र से होती है सुख की प्राप्ति
मंदिर के पुजारी भरत कुमार त्रिवेदी ने लोकल 18 को बताया कि यहां सिर्फ जैन अनुयायी ही नहीं, बल्कि 36 कौम के लोग भी दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं. मान्यता है कि यहां केवल दर्शन मात्र से ही धर्म, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है. मंदिर के परिसर में तीनों चौबीस तीर्थंकरों की देवकुलिकाएं, गणधर मंदिर, गुरु मंदिर, कुलदेवी मंदिर सहित महावीर स्वामी, नाकोड़ा भेरूजी और मणिभद्र के मंदिर भी शामिल हैं, जो इसकी धार्मिक और आध्यात्मिक महत्ता को और बढ़ाते हैं.
इसके अलावा, यहां एक विशाल भोजनशाला भी है, जहां एक साथ 2,000 लोग बैठकर भोजन कर सकते हैं. यह भोजनशाला सभी श्रद्धालुओं के लिए नि:शुल्क भोजन सेवा प्रदान करती है, जिससे सभी भक्तगणों को सेवा और समर्पण का अनुभव होता है. भीनमाल का यह लक्ष्मीवल्लभ पार्श्वनाथ मंदिर, जिसे 72 जिनालय भी कहा जाता है, अपनी अद्वितीय वास्तुकला और धार्मिक महत्व के कारण जालोर के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक बन चुका है.