सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सरकार में बड़े पदों पर बैठे लोगों से किसी जज के मिलने से न्यायिक कामकाज पर कोई फर्क नहीं पड़ता है।
पिछले महीने सीजेआई चंद्रचूड़ के आवास पर गणपति पूजा मं प्रधानमंत्री मोदी पहुंचे थे। इसके बाद विपक्षी नेताओं, कई पूर्व जजों और जानेमाने वकीलों ने इसपर आपत्ति जता दी थी।
एक कार्यक्रम के दौरान सवालों का जनाब देते हुए हुए सीजेआई ने कहा कि चीफ जस्टिस और मुख्यमंत्रियों के बीच भी कई बार पारंपरिक तौर पर मुलाकात होती है।
अब लोग क्या सोचते हैं कि वे क्यों मिल रहे हैं। वे किसी फैसले को लेकर मुलाकात नहीं करते हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक एक कार्यक्रम के दौरान सीजेआई से सवाल किया गया कि बड़े न्यायिक अधिकारियों और राजनेताओं के बीच गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस या अन्य अवसरों पर मुलाकात होती रहती है? इसपर जवाब देते हुए सीजेआई ने कहा, हमारे पॉलिटिकल सिस्टम की परिपक्वता इसी बात पर निर्भर करती है कि जूडिशरी और उनके बीच विचारों में काफी अंतर होता है।
सीजेआई ने कहा न्यायिक कामकाज नई इमारतों के निर्माण के लिए सरकार ही बजट पास करती है। इसके लिए चीफ जस्टिस को मुख्यमंत्री से मिलना भी पड़ेगा।
मैं जब इलाहाबाद हाई कोर्ट चीफ जस्टिस था। इसके अलावा बॉम्बे हाई कोर्ट की प्रशासनिक समिति के लिए काम करता था।
वहीं राज्यों में परंपरा है कि जब पहली बार कोई चीफ जस्टिस बनता है तो वह मुख्यमंत्री से मिलता है। दूसरी बार मुख्यमंत्री चीफ जस्टिस से मिलते हैं। इन बैठकों का अलग-अलग अजेंडा होता है।
सीजेआई ने कहा, मीटिंग में किस बात पर चर्चा हुई। मुख्यमंत्री कभी नहीं कहता कि किसी लंबित मामले को लेकर बातचीत की गई।
उन्हें भी पता रहता है कि हम दोनों का क्षेत्र अलग-अलग है। वहीं हाई कोर्ट और सरकारों के बीच प्रशासनिक संबंध बना रहता है।
इसी तरह केद्र में भी काम होता है। लेकिन हम इतना परिपक्व हैं कि हमें पता रहता है कि इससे न्यायिक कामकाज या फैसलों पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है।
सीजेआई ने कहा, स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस या फिर किसी के घर पर शादी होने पर चीफ जस्टिस लोगों से मिलेंगे ही।
CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि सरकार और न्यायपालिका के लोगों के बीच मुलाकात सरकार के तीन स्तंभों के बीच मजबूत संबंध का उदाहरण हैं।
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