जमशेदपुर। झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने आगामी त्यौहारों के लिए आतिशबाजी पर कड़े नियम लागू किए हैं, जिसका उद्देश्य ध्वनि प्रदूषण पर अंकुश लगाना है। दीवाली, छठ पर्व, गुरु पर्व के दौरान अब केवल दो घंटे ही आतिशबाजी की अनुमति होगी। क्रिसमस और नए साल के जश्न के लिए समय सीमा और भी कम कर दी गई है, जिसमें केवल 35 मिनट तक ही आतिशबाजी की अनुमति होगी।
दीवाली पर पटाखे जलाने का समय इस प्रकार
दीवाली पर आतिशबाजी रात 8 बजे से रात 10 बजे तक की जा सकेगी , जबकि छठ पर सुबह 6 बजे से सुबह 8 बजे तक की अनुमति है। गुरु पर्व के लिए आतिशबाजी का आनंद रात 8 बजे से रात 10 बजे तक लिया जा सकता है , और नए साल की पूर्व संध्या पर, उन्हें रात 11:55 बजे से रात 12:30 बजे तक की अनुमति है।
झारखंड हाईकोर्ट ने भी रांची में बढ़ते ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए आदेश दिया है कि शोर से जुड़ी शिकायतों को गोपनीय रखा जाए। केवल 125 डेसिबल से कम ध्वनि क्षमता वाले पटाखों की बिक्री की अनुमति होगी। इसके अलावा, निर्धारित साइलेंट जोन के 100 मीटर के दायरे में आतिशबाजी पर प्रतिबंध रहेगा।
कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया है कि वायु प्रदूषण रोकथाम नियंत्रण अधिनियम के तहत उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही त्योहारों के दौरान शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखने के महत्व को रेखांकित किया है।
नियम के उल्लंघन पर होगी कार्रवाई
साइलेंट जोन में 100 मीटर परिधि में आतिशबाजी और पटाखे चलाने पर रोक रहेगी। निर्देशों का उल्लंघन करने वालों पर वायु प्रदूषण निवारण नियंत्रण अधिनियम के तहत कार्रवाई की जायेगी। इसे लेकर राज्य के सभी जिलों के उपायुक्तों को भी पत्र लिखा गया है।
पटाखे जलाने के नुकसान
– वायु प्रदूषण: पटाखों से निकलने वाले धुएं में हानिकारक गैस होती हैं, जो हवा को जहरीली बनाती हैं।
– ध्वनि प्रदूषण: पटाखों की आवाज से ध्वनि प्रदूषण होता है, जो बीमार और हार्ट के मरीजों के लिए हानिकारक हो सकता है।
– आग लगने का खतरा: पटाखे जलाने से आग लगने का खतरा होता है, जिससे जान-माल की हानि हो सकती है।
– स्वास्थ्य समस्याएं: पटाखों के धुएं में मौजूद हानिकारक गैसें स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकती हैं, जैसे कि अस्थमा, श्वसन समस्याएं आदि।
– पर्यावरण प्रदूषण: पटाखों से निकलने वाले कण और गैसें पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं।
– जानवरों पर प्रभाव: पटाखों की आवाज और धुआं जानवरों को डरा सकता है और उनके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
– आर्थिक नुकसान: पटाखों की खरीद और जलाने से आर्थिक नुकसान हो सकता है, खासकर गरीब परिवारों के लिए।
– यातायात और सड़क दुर्घटनाएं: पटाखों की वजह से सड़कों पर धुंधलापन हो सकता है, जिससे यातायात और सड़क दुर्घटनाएं हो सकती हैं।
इन नुकसानों को देखते हुए, पटाखों के उपयोग को कम करना या बिल्कुल बंद करना ही सबसे अच्छा विकल्प है। वहीं बच्चों को पटाखे से बिल्कुल ही दूर रखें।