नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान का नाम नहीं लिया, लेकिन आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में ‘दोहरा मापदंड’ न अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। खास बात यह रही कि जब पीएम मोदी ने आतंकवाद के मुद्दे पर यह कड़ा संदेश दिया, तब उनके बगल में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी मौजूद थे, जो पाकिस्तान के करीबी सहयोगी माने जाते हैं। पीएम मोदी ने स्पष्ट किया कि आतंकवाद और उसके वित्तपोषण के खिलाफ संघर्ष में सभी देशों का एकजुट और दृढ़ समर्थन आवश्यक है। उन्होंने कहा, आतंकवाद और कट्टरपंथ के खिलाफ लड़ाई में डबल स्टैंडर्ड के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। उन्होंने ब्रिक्स नेताओं को भी संबोधित करते हुए यह स्पष्ट किया कि आतंकवाद से लड़ने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है और इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में लंबे समय से लंबित प्रस्तावों को पूरा करने की जरूरत है।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस के कजान शहर में आयोजित ब्रिक्स समिट से लौट आए हैं, जहां उन्होंने विश्व को शांति और संवाद का संदेश दिया। 22 और 23 अक्टूबर को आयोजित इस शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत युद्ध का नहीं, बल्कि संवाद और कूटनीति का समर्थक है। समिट में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की उपस्थिति में पीएम मोदी ने आतंकवाद का मुद्दा उठाया और इशारों-इशारों में पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया।
पीएम मोदी की यह टिप्पणी इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि चीन ने पहले संयुक्त राष्ट्र में कई बार पाकिस्तानी आतंकवादियों को सूचीबद्ध करने संबंधी प्रस्तावों को रोका है। जब भी भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद के खिलाफ कदम उठाता है, चीन अक्सर अपने वीटो पावर का इस्तेमाल कर पाकिस्तान की मदद करता है। पीएम मोदी ने ब्रिक्स मंच से ही यह साफ संदेश दिया कि यदि पाकिस्तान आतंकवाद का रास्ता छोड़ता है, तो भारत बातचीत के लिए तैयार है। यह बयान एक बार फिर पाकिस्तान को यह चेतावनी देता है कि आतंकवाद खत्म किए बिना भारत के साथ संवाद संभव नहीं है। पीएम मोदी के इस कड़े संदेश के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि भारत ने शांति और सुरक्षा को प्राथमिकता दी है और वह आतंकवाद के खिलाफ किसी भी तरह का नरम रुख नहीं अपनाएगा।