कजान। ब्रिक्स समिट में भाग लेने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली लौट आए हैं। यह दो दिवसीय दौरा कूटनीति के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण रहा, खासकर क्योंकि पीएम मोदी की मुलाकातें चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जैसे प्रमुख नेताओं से हुईं। समिट के दौरान कजान घोषणापत्र जारी किया गया, जिसमें ब्रिक्स देशों के बीच सात महत्वपूर्ण बिंदुओं पर सहमति बनी। इसमें यूक्रेन-रूस संघर्ष, इजरायल-हिजबुल्लाह और हमास के बीच चल रहे संघर्ष जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। इसके अलावा, नेताओं ने अंतर्राष्ट्रीय शांति और स्थिरता पर जोर देते हुए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता को रेखांकित किया।
ये सात प्रमुख मुद्दे
1. रूस और चीन पर पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों पर स्पष्ट कटाक्ष करते हुए ब्रिक्स के नेताओं ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को बंधन मुक्त कराने की बात कही। साथ ही किसी भी देश के खिलाफ एकतरफा फैसले या ताकत के दम पर कोई कार्रवाई करने का विरोध किया गया।
2. ब्रिक्स ने इंटरनेशनल सिस्टम को और लचीला, कुशल और जवाबदेह बनाने की बात कही। यह भी कहा कि उभरते विकासशील देशों को इसमें जगह मिलनी चाहिए। सबसे कम विकसित देशों विशेष रूप से अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई मुल्कों को और भागीदारी मिलनी चाहिए।
3. ब्रिक्स देशों ने साउथ एशिया और अफ्रीका के संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में नागरिकों की मौत पर भी शोक जताया। इसके अलावा तनाव को खत्म करने की बात कही। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार तुरंत लोगों की जिंदगी बचाने के लिए उपाय करने पर जोर दिया।
4. ब्रिक्स नेताओं ने कुनमिंग-मॉन्ट्रियल ग्लोबल बायोडाइवर्सिटी फ्रेमवर्क के तहत वैश्विक जैव विविधता ढांचे को अपनाने की बात कही गई। पीएम मोदी ने भी ‘एक पेड़ मां के नाम’ लगाने का जिक्र अपने भाषण में किया था। जो इस फ्रेमवर्क का हिस्सा हो सकता है।
5. न्यूक्लियर मेडिसिन के क्षेत्र में ब्रिक्स देशों की उपलब्धियों को याद करते हुए समूह ने एक टीम बनाने का ऐलान किया। इसने पहली बार ब्रिक्स हेल्थ मैगजीन भी शुरू की है। ब्रिक्स मेडिकल एसोसिएशन का भी गठन किया गया है।
6. ब्रिक्स ने गाजा में पीडि़तों की मदद कर रहे लोगों पर हमलों के लिए इजरायल की निंदा की। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एक प्रस्ताव का जिक्र करते हुए कहा कि इस पर तुरंत रोक लगाई जानी चाहिए।
7. अफ्रीकी देशों की समस्याओं के समाधान के लिए अफ्रीकन सॉल्यूशन टू अफ्रीकन प्राब्लम प्रिसिंपल को मंजूरी दी गई। इसमें साफ कहा गया है कि इससे महाद्वीप में संघर्ष को खत्म करने में मदद मिल सकती है। ब्रिक्स देशों ने सूडान में बढ़ती हिंसा पर चिंता जताई।