नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलनमें भाग लेने के लिए रुस के शहर कजान पहुंचेंगे। इस दौरान मोदी ब्लादिमीर पुतिन से 6.5 अरब डालर के वंदे भारत रेल प्रोजेक्ट पर बात कर सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक यह प्रोजेक्ट लंबे समय से अटका पड़ा है। नियामक और तकनीकी दिक्कतों के चलते रूस की कंपनी ट्रांसमाशहोल्डिंग (TMH) वंदेभारत ट्रेनों का निर्माण नहीं कर पा रही है। इस बार रूस भारतीय प्रधानमंत्री के समक्ष इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाएगा। पीएम मोदी मंगलवार को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करेंगे। इससे पहले जुलाई में दोनों नेताओं के बीच वार्षिक द्विपक्षीय बातचीत हुई थी। सितंबर में पुतिन ने कहा था कि पीएम मोदी से होने वाली मुलाकात मौजूदा प्रोजेक्ट्स के लिए अहम होगी। बता दें िक रूस की कंपनी TMH सरकारी कंपनी रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) के साथ मिलकर इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। जुलाई में पीएम मोदी के मॉस्को दौरे के समय भी इस मुद्दे को उठाया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर 22 और 23 अक्टूबर को कजान में आयोजित होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने रूस जा रहे हैं।
200 वंदेभारत ट्रेनों का होना था निर्माण
इस प्रोजेक्ट के तहत 200 वंदेभारत ट्रेनों का निर्माण किया जाना था। वहीं एक ट्रेन की लागत करीब 120 करोड़ रुपए थी। इसके बाद सरकार ने प्रोजेक्ट को घटाकर केवल 120 ट्रेनें कर दीं और प्रोजेक्ट को घटाकर 36 हजार करोड़ रुपए का कर दिया। मार्च 2023 में 58000 रुपये का टेंडर जीतने के बाद से ही आरवीएनएल और टीएमएच के कंसोर्टियम में दिक्कतें आने लगी थीं। कन्सोर्टियम में जब शेयरहोल्डिंग को रीस्ट्र्क्चर करने की अपील की तो सरकार ने इसे मंजूरी नहीं दी।
इन कारणों से अटका पड़ा है प्रोजेक्ट
आरवीएनएल के काइनेट रेलवे सलूशन्स में 25 फीसदी शेयर थे। इसके अलावा अन्य दो रूसी कंपनियों के शेयर 70 और पांच फीसदी थे। रूस की कंपनी ने सरकार से कहा कि MWM और LES की शेयरहोल्डिंग आपस में बदल दी जाए। इससे आरवीएनएल की हिस्सेदारी भी प्रभावित नहीं होगी। हालांकि सरकार ने अब तक इसकी अनुमति नहीं दी है। उन्होंने बताया, सरकार चाहती है कि ट्रेनों की संख्या को और कम कर दिया जाए और हर ट्रेन में कोच बढ़ा दिए जाएं। कोच 16 से 24 करने का प्लान है। ऐसे में इन बाधाओं के चलते वंदेभारत प्रोजेक्ट अटका पड़ा है।