भोपाल । जब से भारतीय न्याय संहिता लागू हुईं है। उसके बाद से चेक बाउंस के मामलों में जो फरियादी हैं। वह अपने आप को ठगा हुआ मान रहे हैं। भारतीय न्याय संहिता में चेक बाउंस वाले प्रकरण में न्यायालय फीस को बढ़ा दिया गया है।मामला दर्ज करने के पहले भारी भरकम फीस भरनी पड़ती है।उसके बाद जो परिवाद न्यायालय में दिया जाता है। उसमें समन की तामिली जब तक परिवादी को नहीं हो जाती है। तब तक न्यायालय में मामला पंजीकृत नहीं होता है। जिसके कारण बार-बार वादी को न्यायालय के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। न्यायालय का समन कई महीनो बाद भी तामील नहीं हो पा रहा है। जिसके कारण कोर्ट में सुनवाई शुरू नही हो पा रही है।
पहले इस तरह के मामले में न्यायालय से 6 महीने के अंदर न्याय मिलने की प्रक्रिया तय हो जाती थी। लेकिन जब से नया कानून लागू हुआ है। चेक बाउंस वाले मामले में सुनवाई ही शुरू नहीं हो पा रही है।पहले चेक बॉउन्स के मामले में ठगे गए, इसके बाद कोर्ट फीस के रूप में होने भारी रकम खर्च करनी पड़ी। अब न्यायालय के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। हासिल कुछ भी नहीं हो पा रहा है।इंदौर भोपाल जबलपुर सहित ऐसे कई मामले न्यायालयों में लंबित पड़े हुए हैं।