कैमूर जिले के 586 किसानों को खरीफ फसल की सिंचाई के लिए डीजल अनुदान की राशि मिली है। राज्य सरकार के निर्देश के अनुसार किसानों को तीन बार सिंचाई करने के लिए डीजल अनुदान की राशि दी जानी है। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार राज्य के अन्य जिलों में आई बाढ़ को देखते हुए अब आवेदन लेने की प्रक्रिया बंद कर दी गई है।
इसके चलते किसान डीजल अनुदान के लिए आवेदन नहीं कर पा रहे हैं। इस संबंध में जिला कृषि पदाधिकारी रेवती रमण ने बताया कि खरीफ फसल की सिंचाई करने के लिए तीन किस्त में अनुदान की राशि उपलब्ध कराई जा रही है। जिले के सभी प्रखंड क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले 1298 किसानों द्वारा डीजल अनुदान की राशि लेने के लिए आवेदन किया गया था।
जिसमें सभी प्रक्रियाओं को पूरा करते हुए 586 किसानों को 14 लाख 31 हजार 300 रुपये उपलब्ध कराए गए हैं। जिला कृषि पदाधिकारी ने कहा कि अन्य जिलों में आई बाढ़ को देखते हुए राज्य सरकार के निर्देश पर इस समय आनलाइन आवेदन की प्रक्रिया बंद है।
उन्होंने कहा कि डीजल अनुदान योजना के तहत किसानों को तीन सिंचाई के लिए राशि दिए जाने का प्राविधान है। लेकिन अब तक 586 किसानों को पहली ही किस्त की राशि मिली है। दूसरी व तीसरी किस्त की राशि उपलब्ध नहीं हुई है।
किसानों को रजिस्ट्रेशन नंबर से मिलेगा बीज
कृषि विभाग द्वारा किसानों को उन्नत तरीके से खेती करने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही है। इसी क्रम में अब किसानों को रजिस्ट्रेशन नंबर से आनलाइन करने पर कृषि विभाग द्वारा बीज दिया जाएगा। भगवानपुर थाना क्षेत्र के गोबरछ गांव में भगवानपुर के कृषि समन्वयक शशि भूषण पांडेय द्वारा किसानों को इसकी जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि जिन किसानों का रजिस्ट्रेशन हुआ है वह किसान अपने आइडी नंबर से आनलाइन आवेदन बीज के लिए कर सकते हैं।
आवेदन करने के बाद उनके मोबाइल पर ओटीपी जाएगा और उनको सूचना भी दी जाएगी। इसके बाद किसान फसल का बीज लेने के लिए विक्रेता को ओटीपी दिखाएंगे और विक्रेता उनको फसल का बीज उपलब्ध कराएंगे। फिलहाल किसानों के बोआई करने के लिए गेहूं चना मसूर सरसों मटर का बीज उपलब्ध होगा।
गेहूं 40 किलो प्रति एकड़, चना 32 किलो प्रति एकड़, मसूर 16 किलो प्रति एकड़, मटर 40 किलो प्रति एकड़ जबकि सरसों डेढ़ से दो किलो एवं हाइब्रिड बीज है तो एक किलो प्रति एकड़ बोआई करने के लिए किसानों को फसल का बीज मिलेगा।
किसानों द्वारा फसल लगाने के बाद कृषि समन्वयक द्वारा फसल परिक्षेत्र पर जाकर जियो टैगिंग कर जांच की जाएगी। साथ ही खेत में लगाए गए फसलों का फोटो भी लिया जाएगा।