दिल्ली एम्स की एक महिला गार्ड के साथ यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया है. महिला गार्ड ने एम्स के मुख्य सुरक्षा अधिकारी (CSO) पर यौन उत्पीड़न और जातिगत भेदभाव का आरोप लगाया है. महिला गार्ड के इस आरोप के बाद प्रमुख चिकित्सा संस्थान ने जांच शुरू कर दी है. महिला गार्ड ने आरोप लगाया है कि जब वह अपनी ड्यूटी रोस्टर के संबंध में चीफ सिक्योरिटी ऑफिसर से मिलने गई थी तो अधिकारी ने उसका यौन उत्पीड़न किया. इसके अलावा महिला का कहना है कि अधिकारी ने उसके खिलाफ जातिवादी टिप्पणी भी की.
संस्थान की ओर से 15 अगस्त को जारी कार्यालय ज्ञापन के अनुसार, जांच डीन अकादमिक डॉ केके वर्मा और डॉ पुनीत कौर करेंगे. केके वर्मा संस्थान की एससी/एसटी/ओबीसी शिकायतों के निवारण के लिए गठित समिति के प्रमुख हैं. डॉ पुनीत कौर दिल्ली एम्स में बायोफिजिक्स विभाग की प्रमुख हैं. वह यौन उत्पीड़न के खिलाफ आंतरिक शिकायत समिति की अध्यक्ष भी हैं. वहीं, दोनों समितियों को ज्ञापन जारी होने की तारीख से सात दिनों के भीतर साक्ष्य सामग्री के साथ प्रारंभिक रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया है. महिला गार्ड अपनी ड्यूटी के टाईम टेबल के संबंध में चीफ सिक्योरिटी ऑफिसर (CSO) के पास गई थी. इस दौरान अधिकारी ने उसका यौन उत्पीड़न किया और जातिवादी प्रयोग किय. वहीं, दिल्ली एम्स के अधिकारियों ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
कोलकाता के RG KAR अस्पताल रेप एंड मर्डर मामले में AIIMS सहित फायमा और आईएमए जैसे संगठन सुरक्षा के मुद्दें पर भी अड़े हुए है. पिछले दिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान परिसर में संविदा कर्मियों की नियुक्ति को लेकर कोलकाता पुलिस को फटकार लगाई थी. शीर्ष अदालत ने कड़े शब्दों में कहा कि अस्पताल में सुरक्षा को किसी संविदा कर्मियों पर नहीं छोड़ सकते हैं. पुलिस से इसके नियुक्ति और योग्यता से जुड़ी प्रकिया का जवाब मांगा गया. कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हैवानियत मामले में आरोपी संजय रॉय एक संविदाकर्मी ही था. मंगलवार को सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने सवाल किया कि अस्पताल में सुरक्षा ड्यूटी पर संविदा कर्मचारी और नियमित पुलिसकर्मी क्यों नहीं थे. साथ ही राज्य में नागरिक स्वयंसेवकों की भर्ती के लिए कानूनी प्रकिया बनाने पर जोर दिया.