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ठंड ने दी दस्तक: बिहार के 22 जिलों में तापमान गिरा, कोहरे का असर

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राजधानी समेत प्रदेश के मौसम बदलाव जारी है। पछुआ हवा के कारण जहां एक ओर मौसम शुष्क बना हुआ है वहीं तापमान में क्रमिक गिरावट जारी है। शुक्रवार को पटना सहित 22 जिलों के अधिकतम तापमान में गिरावट दर्ज की गई। कई जगह कोहरे का असर देखने को मिल रहा है।

राजधानी का अधिकतम तापमान 32.8 डिग्री सेल्सियस जबकि 35.6 डिग्री सेल्सियस के साथ बेगूसराय में सर्वाधिक तापमान दर्ज किया गया।

सुबह 4 से 6 बजे तक कोहरे का असर दिखेगा

मौसम विज्ञान केंद्र पटना के अनुसार सुबह के समय आर्द्रता में वृद्धि होने के कारण सुबह चार बजे से छह बजे तक कोहरे का प्रभाव बना रहेगा। तीन से चार दिनों तक पछुआ के कारण विशेष बदलाव की संभावना नहीं है। बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र विकसित होने की संभावना है।

23 से 24 अक्टूबर के बीच इन जिलों में बारिश के आसार

इसका प्रभाव 23-24 अक्टूबर उत्तर पूर्व भाग के सुपौल, अररिया, किशनगंज, मधेपुरा, सहरसा, पूर्णिया, कटिहार व दक्षिण मध्य भागों के पटना सहित गया, नालंदा, शेखपुरा, नवादा, बेगूसराय, लखीसराय, जहानाबाद, भागलपुर, बांका, जमुई, मुंगेर, खगड़िया के कुछ स्थानों पर हल्की वर्षा की संभावना है।

वहीं जिलों के शेष भागों का मौसम शुष्क बना रहेगा। शुक्रवार को पटना सहित आसपास इलाकों में बादलों की आवाजाही बने होने से मौसम सामान्य बना रहा। 

भागलपुर में मौसम का हाल

सापेक्ष आर्द्रता सुबह में 85 प्रतिशत तथा दोपहर में 45 प्रतिशत रहने की संभावना है। पूर्वानुमान की अवधि में 05 किमी प्रति घंटा की रप्तार से पूर्वा हवा चल सकती है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय के ग्रामीण कृषि मौसम सेवा के नोडल पदाधिकारी ने बताया कि इस दौरान मौसम सामान्य बना रहेगा।

शुक्रवार को अधिकतम तापमान 30.5 डिग्री सेल्सियस व न्यूनतम तापमान 22.5 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। 84 प्रतिशत आद्रता के साथ तीन किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से पूर्वा हवा चल रही है। फिलहाल जिले का ऐसा ही मौसम बना रहेगा।

अगस्त की बारिश ने किसानों को दी संजीवनी

बिहार में मानसून का प्रवेश 20 जून को हो गया था और 13 अक्टूबर को राज्य से विदा हो चुका है। हालांकि जिले में मानसून की धमक जून के अंतिम दो दिनों में दिखाई दी थी और जून-जुलाई में औसत से कम वर्षा हुई देख किसानों के हाथ-पांव फूलने लगे थे।

लेकिन अगस्त में सामान्य अनुपात से अधिक हुई वर्षा और बिजली की मिली साथ में सरकारी अनुमानित लक्ष्य (96,790.32 हेक्टेयर) से अधिक (96,869.93 हेक्टेयर) रकबा में रोपनी हुई। बहरहाल, धान फसल सही हालत में हैं और इससे अच्छी पैदावार होने की संभावना बनी हुई है।