मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि यदि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी यूक्रेन युद्ध रोक सकते हैं जैसा कि उन्होंने विज्ञापन में दिखाया है तो क्या वह यहां पराली का धुआं नहीं रोक सकते? इस मसले पर उन्हें सभी राज्यों को एक साथ बैठाना चाहिए, मुआवजा देना चाहिए, विज्ञानियों को बुलाना चाहिए। पराली का मुद्दा किसी एक राज्य तक सीमित नहीं है, यह पूरे उत्तर भारत का मुद्दा है।
भगवंत मान ने शुक्रवार को कहा पंजाब के किसान पराली नहीं जलाना चाहते, किसान धान की खेती भी नहीं करना चाहते हैं परंतु वैकल्पिक फसल पर एमएसपी उपलब्ध नहीं है। उन्होंने केंद्र सरकार से पराली की समस्या के व्यावहारिक समाधान के रूप में किसानों के लिए मुआवजे की मांग की, जो फसल खरीद का एक विकल्प हो सकता है। उन्होंने कहा कि जब धान की पैदावार होती है तो किसानों की प्रशंसा होती है परंतु पराली का क्या? फिर वे (एनजीटी) जुर्माना वसूलना चाहते हैं।
हम पराली जलाना रोकने के लिए मुआवजे की मांग कर रहे
आगे कहा कि हमें नहीं पता कि पंजाब का धुआं दिल्ली पहुंचता है या नहीं, पर धुआं सबसे पहले किसान व उसके गांव को नुकसान पहुंचाता है। उन्होंने कहा कि किसानों को पराली जलाने के लिए मजबूर होना पड़ता है, इससे अंतत: वायु गुणवत्ता खराब होती है। मान ने कहा कि हम पराली जलाना रोकने के लिए मुआवजे की मांग कर रहे हैं, लेकिन केंद्र किसानों को इसके खिलाफ प्रोत्साहित करने के लिए कह रहा है।
उन्होंने कहा कि प्रोत्साहन से काम नहीं चलता, व्यावहारिक कदम उठाने की जरूरत है। मान ने बताया कि राज्य सरकार ने किसानों को 1.25 लाख मशीनें दी हैं और इसके परिणामस्वरूप 75 लाख हेक्टेयर धान की फसल में से 40 लाख हेक्टेयर की पराली नहीं जलाई गई है।
पराली जलाने वाले किसानों पर कोई केस दर्ज नहीं होगा : हरियाणा के मुख्यमंत्री
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी ने कहा कि पराली जलाने वाले किसानों पर कोई केस दर्ज नहीं किया जाएगा और न ही उनके कृषि रिकार्ड में रेड एंट्री की जाएगी। रेड एंट्री होने पर किसान अगले दो सीजन में ई-खरीद पोर्टल के माध्यम से मंडियों में अपनी फसल नहीं बेच सकेंगे। मालूम हो कि पराली जलाने के आरोपितों के खिलाफ केस दर्ज नहीं करने पर सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख अपनाने के बाद हरियाणा के कृषि निदेशक राजनारायण कौशिक ने पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने और उनके कृषि रिकार्ड में रेड एंट्री के आदेश दिए हैं।