पति-पत्नी के प्यार का प्रतीक करवा चौथ का व्रत साल 2024 में 20 अक्टूबर रविवार को होगा. इस दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु की कामना के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं. साल भर में होने वाले कठिन व्रत में करवा चौथ का व्रत आता है. 13 से 14 घंटे सुहागन महिलाएं निर्जला रहकर इस व्रत को पूरा करती हैं. सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक यह व्रत विधि विधान से किया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत किया जाता है. सूर्योदय से पहले महिलाएं सास, जेठानी या किसी बुजुर्ग सम्माननीय महिला से सरगी लेकर खाती हैं और उसके बाद विधि विधान के साथ इस व्रत को करती हैं. वहीं, करवा चौथ पर बायना देने का भी रिवाज होता है. यदि करवा चौथ पर बायना ना दिया जाए तो व्रत अधूरा रहता है.
करवा चौथ पर बायना का महत्व
करवा चौथ पर बायना कब और किसको दिया जाए इसकी ज्यादा जानकारी लोकल 18 को देते हुए हरिद्वार के ज्योतिषी पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि करवा चौथ का त्यौहार कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करने का विधान होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार साल 2024 में 20 अक्टूबर रविवार की सुबह को 6:47 से करवा चौथ के व्रत की शुरुआत होगी और शाम 7:54 पर चंद्रोदय होने पर यह व्रत चंद्रमा को अर्घ्य देकर पति का चेहरा छलनी में देखकर पूरा किया जाता है.
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इसके बाद व्रती सुहागन महिलाओं द्वारा सास, जेठानी या किसी बुजुर्ग महिला को बायना देने का रिवाज होता है. यदि महिलाओं द्वारा बायना ना दिया जाए तो करवा चौथ का व्रत अधूरा रहता है. बायना में खाने-पीने की सामग्री वस्त्र आदि होते है जिसको सांस जेठानी या कोई बुजुर्ग महिला लेकर व्रत रखने वाली सुहागन महिला को आशीर्वाद देती हैं. दरअसल, हिंदू धर्म में बायना सुख समृद्धि और खुशहाली का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उपहार के रूप में देने का रिवाज है.