बैरुत। हिजबुल्लाह पर पिछले महीन इजरायल ने पेजर अटैक कर हर किसी को चौंका दिया। इतने छोटे से दिखने वाले पेजर को आखिर इजरायल ने कैसे चलते फिरते बम में बदल दिया, ये सोचकर हर कोई हैरान था। एक एजेंसी की तरफ से अब इस मामले में एक अहम रिपोर्ट प्रकाशित की गई है, जिसमें लेबनान सूत्रों के हवाले से पेजर को बम में बदलने की इजरायली तकनीक के बारे में विस्तार में बताया गया है।
फरवरी में पेजर प्राप्त करने के बाद हिजबुल्लाह ने विस्फोटकों की उपस्थिति की जांच की। उन्हें हवाई अड्डे के सुरक्षा स्कैनर के माध्यम से यह देखने के लिए डाला कि क्या वे अलार्म ट्रिगर करते हैं। कुछ भी संदिग्ध नहीं बताया गया। दो बम विशेषज्ञों ने कहा कि उपकरणों को बैटरी पैक के अंदर एक चिंगारी उत्पन्न करने के लिए सेट किया गया था, जो विस्फोट करने वाली सामग्री को जलाने के लिए पर्याप्त था, और शीट को विस्फोट करने के लिए ट्रिगर करता था। क्योंकि विस्फोटक और उसके कवर ने लगभग एक तिहाई हिस्सा ले लिया था, लिहाजा बैटरी पैक में 35 ग्राम वजन के अनुरूप शक्ति का एक अंश था।
दरअसल, पेजर बनाने वाले एजेंटों ने एक ऐसी बैटरी डिजाइन की थी, जिसमें प्लास्टिक विस्फोटक का एक छोटा लेकिन शक्तिशाली चार्ज और एक नया डेटोनेटर छिपा था, जिसे देख पाना भी संभव नहीं है। पेजर बम का गुप्त डिजाइन और बैटरी की सावधानीपूर्वक बनाई गई कवर स्टोरी, दोनों के बारे में विस्तार में बताया गया। ये पूरा ऑपरेशन एक दो दिन या महीने में नहीं, बल्कि सालों की मेहनत के बाद पूरा हुआ। छह ग्राम सफेद पेंटाएरीथ्रिटोल टेट्रानाइट्रेट प्लास्टिक विस्फोटक का इसमें इस्तेमाल किया गया। उसके साथ एक पतली स्क्वेयर शीट का इस्तेमाल किया गया। दोनों की कोशिकाओं को आपस में निचोड़ा गया। बताया गया कि बैटरी कोशिकाओं के बीच बाकी स्थान अत्यधिक ज्वलनशील पदार्थ की एक पट्टी द्वारा कब्जा कर लिया गया था, जिसने डेटोनेटर के रूप में काम किया। इस पूरे प्रोसेस की तस्वीर भी दिखाई गई, जिससे पता चलता है कि इस तीन-परत वाले सैंडविच को एक काले प्लास्टिक की स्लीव में डाल दिया गया था और एक धातु के कवर में वो लगभग एक माचिस के आकार का था। दो बम विशेषज्ञों ने बताया कि असेंबली असामान्य थी क्योंकि यह एक स्टैंडर्ड छोटे डेटोनेटर या यूं कहें कि आमतौर पर दिखने वाले मेटल के सिलेंडर पर निर्भर नहीं था।