भोपाल : राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा है कि प्रतियोगिता में भाग लेने से नया जोश और मनोबल तो मिलता ही है, साथ ही अपने और दूसरों के प्रदर्शन के अनुभव से कौशल का नया स्तर प्राप्त होता है। प्रतियोगिता में ज्ञान और कौशल के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि हार-जीत से कही अधिक महत्वपूर्ण हमारी संस्कृति, सुसंस्कृत जीवनशैली की गरिमा और गौरव का सम्मान है।
राज्यपाल पटेल आज केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के भोपाल परिसर में आयोजित अखिल भारतीय क्रीड़ा, सांस्कृतिक, शैक्षिक स्पर्धा, युवा महोत्सव 2024 के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित विशिष्ट ग्रंथों, “सर्वसमावेशी शिक्षा के परिप्रेक्ष्य में महर्षि दयानन्द सरस्वती” और “भारतीय ज्ञान परम्परा शिक्षक शिक्षा” का लोकार्पण किया। महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर मिथिला प्रसाद त्रिपाठी, युव संसद जयपुर के संस्थापक आशुतोष जोशी मंचासीन थे।
राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि आधुनिक मानव जीवन से जुड़े क्षेत्रों शिक्षा, स्वास्थ्य, आत्मनिर्भर एवं स्वावलंबी जीवन आदि कई विषयों में संस्कृत ज्ञान निधि की प्रासंगिकता आज बढ़ रही है।दुनिया में संस्कृत भारत की सॉफ्ट पावर का सबसे प्रमुख ज़रिया है। हमें ऐसा वातावरण तैयार करना होगा जिसमें संस्कृत के ज्ञान को आधुनिक और शोध परक दृष्टि से देखा जाए और ज्ञान के नए स्वरूप को प्रकाशित किए जाए। समय की आवश्यकता है कि हमारे पास ऐसे युवा हो, जिनमें संस्कृत के साथ कम्प्यूटर कोडिंग की तकनीक और अनुसंधान का सामर्थ्य हो।
राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत निर्माण प्रयासों के लिए जड़ों से जुड़ें वैश्विक प्रतिस्पर्धा हेतु सक्षम युवाओं का निर्माण समय की जरूरत है। विश्वविद्यालय को संस्कृत भाषा की भारतीय ज्ञान परम्परा को भविष्य की दृष्टि से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के साथ समन्वय से भारत को ज्ञान की महाशक्ति बनाने की जिम्मेदारी लेना होगी। विश्वविद्यालयों को विद्यार्थियों को संस्कृत के अध्ययन और अनुसंधान के द्वारा राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय चुनौतियों के समाधान खोजने के अवसर उपलब्ध कराने होंगे। उन्होंने कहा कि छात्रों के समग्र, सर्वांगीण विकास में ऐसे शैक्षणिक, सांस्कृतिक और खेल स्पर्धाओं के आयोजन अत्यन्त महत्त्वपूर्ण होते है। उन्होंने वैश्विक स्तर पर भारतीय ज्ञान परम्परा के संरक्षण एवं संवर्धन में अग्रणी भूमिका निभाने और अखिल भारतीय प्रतियोगिता के आयोजन के लिए केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय की सराहना की है।
केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली के अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रोफेसर मदन मोहन झा ने विश्वविद्यालय की शैक्षणिक सांस्कृतिक गतिविधियों का विवरण दिया। बताया कि राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान से प्रारम्भ होकर 55वीं वर्ष गांठ के अवसर तक विश्व में संस्कृत का पर्याय बन गया है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय मल्टी डिसिप्लिनरी, बहुपरिसरीय विश्वविद्यालय है, जिसमें 12 परिसर, 28 महाविद्यालय और 105 से अधिक मान्यता प्राप्त संस्थाएं शामिल है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में भारतीय विधिशात्र, नाट्य शास्त्र के पाठ्यक्रम के साथ ही बी.ए. ऑनर्स, संस्कृत, सिविल सर्विसेज, शुरू किया गया है, जिसमें संस्कृत एवं सिविल सर्विसेज के पाठ्यक्रम का अध्ययन कराया जाता है। विद्यार्थी पाठ्यक्रम के 5 में से किसी एक विषय में स्नातकोत्तर की एक वर्षीय उपाधि भी प्राप्त कर सकते है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय को नेक द्वारा A++ की ग्रेडिंग प्राप्त है। विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति विगत 2 वर्षों से सफलता पूर्वक क्रियान्वित की जा रही है।
केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय भोपाल परिसर के निदेशक प्रोफेसर रमाकांत पांडेय ने स्वागत उद्बोधन दिया। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय देश के 12 प्रांतों में प्रस्तारित है। आयोजित, प्रतियोगिता में राज्य स्तरीय स्पर्धा के विजेता शामिल हो रहे है। उन्होंने बताया कि प्रतियोगिता के निर्णायक मण्डल में देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए हुए विषय विशेषज्ञ विद्वान शामिल है। धन्यवाद ज्ञापन भोपाल परिसर के सहायक निदेशक प्रोफेसर नीलाभ तिवारी ने किया।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों द्वारा भगवती सरस्वती का दीप प्रज्ज्वलन कर पूजन किया। परिसर के छात्रों द्वारा वैदिक मंगलाचरण एवं नाट्य अनुसंधान विभाग के छात्र-छात्राओं ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। अतिथियों का शॉल, शंख और पौधा भेंट कर स्वागत किया गया।