खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपनी ही पोल खोल दी है।
उन्होंने बुधवार को माना है कि उन्होंने भारत को इस मामले में ठोस सबूत नहीं दिए हैं।
कनाडा के विदेशी हस्तक्षेप जांच के समक्ष गवाही देते समय जस्टिन ट्रूडो ने कहा, ”कनाडा ने भारत से सहयोग करने के लिए कहा। उनका (भारत) अनुरोध सबूत मांगना था। हमने भारतीय सुरक्षा एजेंसियों से आगे की जांच करने और हमारे साथ सहयोग करने को कहा, क्योंकि उस समय हमारे (कनाडा) पास केवल खुफिया जानकारी थी, न कि ठोस सबूत।”
खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या पर कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो ने कहा, “गर्मियों के दौरान मुझे खुफिया सेवाओं द्वारा बताया गया था कि निज्जर की हत्या में सरकार शामिल थी, कोई स्पष्ट अंतरराष्ट्रीय संबंध नहीं था… अगस्त में, कनाडा और द फाइव आईज से मिली खुफिया जानकारी ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत इसमें शामिल था… भारत के एजेंट कनाडाई धरती पर शामिल थे और उन्हें बताया कि हमें वास्तविक चिंता है कि आपकी सुरक्षा एजेंसियां इसमें शामिल हैं।
हमारी जांच के प्रति भारत की प्रतिक्रिया हमारी सरकार के खिलाफ हमलों को दोगुना करना था। हमने भारत से कहा कि ठोस सबूत नहीं है, लेकिन यह उस समय की खुफिया जानकारी है… भारत ने हमारी सरकार और शासन को कमजोर किया… ये स्पष्ट संकेत थे कि भारत ने हमारी संप्रभुता का उल्लंघन किया है।”
ट्रूडो ने आगे कहा कि मैंने जी-20 के आखिरी में पीएम मोदी के सामने मुद्दा उठाया और मैंने बताया कि हम जानते हैं कि भारत इसमें शामिल था।
उन्होंने कहा कि कनाडा में कई लोग भारत सरकार के खिलाफ बोलते हैं और वे इन लोगों को गिरफ्तार होते देखना चाहते हैं। ट्रूडो ने कहा कि जब वे जी-20 समिट के बाद भारत से कनाडा लौटे तो यह साफ था कि भारत सरकार का नजरिया हमारी और हमारे लोकतंत्र की अखंडता की आलोचना करना था।
ट्रूडो ने गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का भी नाम लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय राजनयिक कनाडाई लोगों के बारे में जानकारी एकत्र कर रहे थे और लॉरेंस बिश्नोई गिरोह को दे रहे थे।
विदेशी हस्तक्षेप जांच के समक्ष गवाही में जस्टिन ट्रूडो ने अपने देश के सांसदों पर भी आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि उनके पास कंजर्वेटिव सांसदों के नाम हैं जो विदेशी हस्तक्षेप में शामिल हैं।
उन्होंने कनाडाई सुरक्षा खुफिया सेवा (सीएसआईएस) को कंजर्वेटिव नेता पियरे पोलीवरे को चेतावनी देने और पार्टी की अखंडता की रक्षा करने का निर्देश दिया है। उल्लेखनीय है कि जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल के दौरान कनाडा में खालिस्तानी गतिविधियां तेजी से फलती-फूलती रही हैं।
वोट बैंक के चलते ट्रूडो इस मुद्दे पर कोई भी ऐक्शन लेने से बचते रहे। पिछले साल जून महीने में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की एक गुरुद्वारे के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। ट्रूडो ने संसद में इसका आरोप भारतीय एजेंटों पर लगाया, जिसके बाद दोनों देशों में तनाव बढ़ गया था।
भारतीय राजनयिक को बताया था पर्सन ऑफ इंटरेस्ट
हाल ही में भारतीय राजनयिक को ‘पर्सन ऑफ इंटरेस्ट’ बताने के बाद भारत ने कड़े कदम उठाते हुए अपने सभी राजनयिकों को कनाडा से वापस बुला लिया। इसके साथ ही, भारत में कनाडा के छह राजनयिकों को भी निष्कासित कर दिया गया।
कनाडाई पीएम ट्रूडो को भले ही निज्जर मामले में अमेरिका का साथ मिला हो, लेकिन उनके खुद के ही लोग इस मामले में उनके खिलाफ हैं।
स्थानीय मीडिया हाउस में आर्टिकल छप रहे हैं और आरोप लग रहा है कि कनाडा ने अपनी सीमाओं के भीतर सिख चरमपंथ को फलने फूलने की इजाजत दी है।
कनाडाई पत्रकार बोर्डमैन ने भी ट्रूडो को निशाना साधते हुए कहा है कि वह भारत साथ बढ़ते तनाव के बाद जनता को पुख्ता सबूत देने में विफल रहे हैं।
यह मामला राजनयिकों को निष्कासित करने तक बढ़ गया है, लेकिन ट्रूडो सबूत देने के बजाए मुझ पर भरोसा करो भाई वाले फेज में हैं।
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