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NASA का मिशन यूरोपा क्या है? जीवन की खोज में निकला स्पेसक्राफ्ट, करेगा 3 अरब किलोमीटर की यात्रा…

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वैज्ञानिक अंतरिक्ष में पृथ्वी के अलावा ऐसे ग्रह की तलाश कर रहे हैं, जहां जीवन हो। वर्षों से यह खोज आज भी जारी है।

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने अंतरिक्ष में जीवन की खोज के लिए सोमवार को नया मिशन लॉन्च किया। नासा ने फ्लोरिडा से बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा के लिए अंतरिक्ष यान यूरोपा क्लिपर की सफल लॉन्चिंग की।

यह यान 3 अरब किलोमीटर दूर अपने मिशन के लिए निकल चुका है। नासा द्वारा किसी भी ग्रहीय मिशन के लिए बनाया गया यह स्पेसक्राफ्ट सबसे बड़ा अंतरिक्ष यान है।

नासा ने कहा कि अगर सबकुछ ठीक रहा तो यान 2030 तक बृहस्पति ग्रह की कक्षा में प्रवेश कर लेगा।

नासा की टीम ने आज रात 9:36 बजे (भारतीय समयानुसार) फ्लोरिडा में कैनेडी स्पेस सेंटर के लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39A से स्पेसक्रॉफ्ट को लॉन्च किया।

इस मिशन में स्पेसक्राफ्ट यूरोपा क्लिपर बृहस्पति ग्रह के बर्फीले चंद्रमा यूरोपा का अध्ययन करेगा और वहां जीवन की तलाश करेगा। इसके अलावा वह यूरोपा के वायुमंडल और उसके सतह के बारे में जानकारी भी हासिल करेगा।

नासा के एसोसिएट एडमिनिस्ट्रेटर जिम फ्री ने कहा कि यूरोपा हमारे सौर मंडल में संभावित रहने योग्य वातावरण के लिए सबसे उपयुक्त स्थान में एक हो सकता है, इसलिए यह मिशन बेहद महत्वपूर्ण है।

मिशन यूरोपा

नासा के अनुसार, बृहस्पति के 95 ज्ञात चंद्रमा हैं। इसमें यूरोपा चौथा सबसे बड़ा है। इसका व्यास भले ही पृथ्वी का केवल एक चौथाई हो, लेकिन इसमें पृथ्वी से अधिक पानी की संभावना है। इसमें नमकीन पानी के विशाल महासागरों में पृथ्वी के महासागरों से दोगुना पानी हो सकता है। यूरोपा का व्यास लगभग 1940 मील (3100 किमी) है, जो पृथ्वी के चंद्रमा के व्यास का लगभग 90% है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इसका बर्फीला आवरण 10-15 मील (15-25 किमी) मोटा है, जो 40-100 मील (60-150 किमी) गहरे समुद्र के ऊपर स्थित है।

नासा ने जिस यान को यूरोपा में भेजा है, वह उसका किसी भी ग्रहीय मिशन में अब तक का सबसे बड़ा स्पेसक्राफ्ट है। इसका नाम- यूरोपा क्लिपर है। इसकी लंबाई 100 फीट (30.5 मीटर) और लगभग 58 फीट (17.6 मीटर) चौड़ाई है। इसका वजन लगभग 13000 पाउंड (6000 किग्रा) है। इस मिशन में यूरोपा क्लिपर करीब 1.8 अरब मील (2.9 अरब किमी) की यात्रा तय करके 2030 में बृहस्पति की कक्षा में प्रवेश करेगा। यान के प्रक्षेपण की योजना पिछले सप्ताह की थी, लेकिन तूफान मिल्टन के कारण इस मिशन को टाल दिया गया था।

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