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हरियाणा की जीत से मोहन यादव की रेटिंग में इजाफा, राष्ट्रीय नेता बनकर उभरे

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भोपाल ।   मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव अब राजनीति में अपना लोहा मनवाने वाले नेता बनकर उभरे हैं। उन्होंने हरियाणा में जिन सीटों पर प्रचार किया वहां जीत का औसत लगभग 75 फीसदी  से भी ज्यादा रहा। इसे देखते हुये पार्टी ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। डा. यादव को हरियाणा में मुख्यमंत्री चुनने के लिये पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। उनके साथ ही गृहमंत्री अमित शाह भी हरियाणा में पर्यवेक्षक बनाये गये है। मुख्यमंत्री की इस उपलब्धि से अब एकाएक उनके कद में इजाफा हुआ है। मध्यप्रदेश ही नहीं उन्होंने राष्ट्रीय नेता के रूप में अपनी अमिट छाप छोड़ी है।
गौरतलब है कि हरियाण में भाजपा ने जीत की हैट्रिक लगाकर राजनीति में एक नया मुकाम हासिल किया है। भाजपा का चुनाव से  पहले मुख्यमंत्री बदलने का फार्मूला यहां बिल्कुल फिट बैठा है। जिसके चलते भाजपा ने जीत की हैट्रिक लगाई है। पार्टी हाईकमान ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव को हरियाणा में स्टार कैंपेनर की भूमिका सौंपी थी। मुख्यमंत्री ने हरियाणा में जितनी भी सीटों पर पार्टी के लिये प्रचार किया वहां जीत का औसत 75 फीसदी से भी ज्यादा रहा है। जिससे मुख्यमंत्री डा. यादव ने राष्ट्रीय राजनीति में अपना एक मुकाम हासिल किया है। मुख्यमंत्री के जीत का स्ट्राईक रेट देखकर पार्टी हाईकमान भी गदगद है। जिसके चलते उन्हें अब गृहमंत्री अमित शाह के साथ हरियाणा में मुख्यमंत्री चुनने के लिये पर्यवेक्षक की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। यहां बता दें कि हरियाणा में गुटबाजी चरम पर है। इसके लिये राजनीति के माहिर गृहमंत्री अमित शाह के साथ मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव को समन्वय बनाने का भार सौंपा गया है। मुख्यमंत्री डा. यादव को मिली बड़ी जिम्मेदारी से उनका कद बढ़ गया है। वैसे देखा जाये तो हरियाणा की जीत में मध्यप्रदेश का अहम रोल रहा है। जब हरियाणा में भाजपा के लिये कुछ नहीं था तो राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने वहां प्रभारी के रूप में भाजपा के लिये जमीन तैयार कर सरकार बनवाई। इसके बाद दूसरे चुनावों में मध्यप्रदेश से ही केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर को प्रभारी बनाकर हरियाणा भेजा गया तो वहां फिर भाजपा ने गठबंधन सरकार बनाकर इतिहास रचा। अब तीसरी बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने स्टार कैंपेनर के रूप में ताबडतोड प्रचार कर भाजपा के लिये जीत की बुनियाद रखी। जिसे देख पार्टी हाईकमान ने अब उन्हें ही मुख्यमंत्री चुनने की जिम्मेदारी भी सौंप दी।