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इजरायल-हमास जंग की आग में कौन-कौन झुलसेंगे ये चिंता का विषय है: मोहन भागवत

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नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने विजयादशमी के मौके पर आज महाराष्ट्र के नागपुर में रेशम बाग मैदान में शस्त्र पूजन किया। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने स्वंयसेवकों को संबोधित करते हुए देश और दुनिया से जुड़े कई मुद्दों पर बात की। उन्होंने कहा कि इजरायल-हमास जंग की आग में कौन-कौन झुलसेंगे और इसकी चपेट में कौन-कौन आएगा पूरा विश्व इससे चिंतित है। मोहन भागवत ने कहा कि दुनिया में भारत की साख बढ़ी है। जम्मू-कश्मीर के चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से हुए हैं। दुनिया में ऐसे देश हैं, जो इस तरह की चाल चलेंगे कि भारत आगे नहीं बढ़े, वो भारत को रोकना चाहेंगे। उन्होंने आगे कहा कि पहले जैसा आपस में अब युद्ध करना आसान नहीं है। मंत्र विप्लव चल रहा है। ऐसी स्थिति में उनको देश के अंदर ऐसे साथी मिल जाते हैं। भारत के चारों ओर, विशेषकर सीमावर्ती प्रातों में क्या-क्या हो रहा है ये हम देख सकते हैं। समय पर हमको जगना है। मोहन भागवत ने कोलकाता रेप-मर्डर मामले का जिक्र करते हुए कहा, आरजी कर अस्पताल में लज्जाजनक घटना हुई। जैसे वहां समाज के लोग खड़े हो गए डॉक्टर लोगों के साथ लेकिन होने के बाद जिस तरह से वहां टालमटोल का प्रयास हुआ ये राजनीति के अपराधीकरण का प्रमाण है।
आरएसएस चीफ ने आगे कहा कि भारत आगे ना बढ़े ऐसा चाहने वाली शक्तियां भी हैं। तरह-तरह की चालें वो चलेंगे, अभी तक भारत छोड़कर बाकी विश्व ने अपने स्वार्थ छोड़कर बलि देने का मार्ग नहीं चुना है। बांग्लादेश में क्या हुआ? उत्पात के कारण वहां के हिन्दू समाज पर अटैक हुआ। हिन्दू पर अत्याचार हुआ, हिन्दू वहां अपने बचाव के लिए सड़क पर आया। कट्टरपंथी जब तक हैं, तब तक अल्पसंख्यकों के ऊपर अत्याचार होगा, हिन्दू को सोचना होगा कि अगर हम दुर्बल हैं और असंगठित है तो गलत है। जहां हैं वहां संगठित रहो, हिंसक मत बनो, लेकिन दुर्बल नहीं रहना है।भागवत ने आगे कहा कि बांग्लादेश में ऐसी चर्चाएं चलती हैं कि भारत से खतरा है इसलिए पाकिस्तान को साथ लेना है। ये चर्चाएं कौन करा रहा है, ये किन-किन देशों के हित की बात है। भारत बड़ा बनेगा तो स्वार्थ की दुकानें बंद हो जाएंगी। मोहन भागवत ने कहा कि हम देख रहे हैं कि भारत वर्ष में इस प्रकार मन वचनों पर कुप्रभाव हो रहा है। कोई बात छिपती नहीं है। बच्चों के हाथ पर भी मोबाइल है। वो क्या देख रहे हैं इस पर किसी का नियंत्रण नहीं है। इस पर नियंत्रण करना घर परिवार और विधि व्यवस्था पर भी जरूरी है। इसके कुपरिणाम भी हैं। कई जगह युवा पीढ़ी नशे के जाल में फंस रही है। एक द्रौपद्री के वस्त्र का हरण हुआ, महाभारत हो गया। सीता हरण हुआ रामायण हो गया। आरजी कर अस्पताल में क्या हुआ वो लज्जित करने वाला हो गया है। ऐसा नहीं होना चाहिए था। होने के बाद भी वहां जिस तरह की टालमटोली हुई वो अपराध और राजनीति के गठबंधन को दिखाता है।