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एमपी के किसान अपने खेतों को देख सकेंगे ऑनलाइन

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भोपाल । मध्य प्रदेश की मोहन सरकार ने भी किसानों के लिए जरूरी पहल की है। भारत सरकार के निर्देश पर अन्नदाताओं के लिए किसान रजिस्ट्री का काम शुरू हो गया है। इस पहल के तहत प्रत्येक अन्नदाता के लिए एक विशिष्ट किसान आईडी बनाई जा रही है।

इस योजना का मकसद अन्नदाताओं को योजनाओं का लाभ पहुंचाने में सहूलियत देना है। इसके साथ उनका पूरा डिजिटल लेखा जोखा कलेक्टर और पटवारी के पास होगा। इसके लिए एक एप्लीकेशन की मदद ली जा रही है।
किसान रजिस्ट्री कार्यान्वयन अभियान 30 नवंबर तक पूरा किया जाना है। ताकि दिसंबर महीने से अन्नदाताओं को पीएम किसान योजना का लाभ केवल किसान आईडी के माध्यम से ही मिल सके। इसी योजना की मदद से भविष्य में सरकार की अन्य विभागीय योजनाओं को भी पारदर्शिता के साथ लागू किया जा सकेगा।

किसान रजिस्ट्री पोर्टल के माध्यम से की जा रही है। इसमें पटवारी, स्थानीय युवा और किसानों के लिए मोबाइल ऐप भी बनाया गया है। इसमें अन्नदाताओं के लिए किसान रजिस्ट्री एमपी एप स्थानीय सहायक युवाओं के लिए किसान सहायक एमपी एपीपी बनाया गया है। रजिस्ट्री भी इनके माध्यम से की जा रही है। ऑनलाइन उपलब्ध होगी। इसका उपयोग करके राज्य में किसान रजिस्ट्री तैयार की ऑनलाइन उपलब्ध होगी जानकारी भूमि रिकॉर्ड डेटा के आधार पर हर गांव में किसान के पास मौजूद भूमि की जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध होगी। इसका उपयोग करके राज्य में किसान रजिस्ट्री तैयार की जा रही है। जरूरत पडऩे पर आसानी से जमीन मालिक का चयन किया जा सकेगा।

 

इस ऐप और पोर्टल का उपयोग करके, किसान के सभी खातों को जोडक़र ई-केवाईसी की कार्रवाई पूरी की जाएगी। जिसमें किसान की सहमति इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्राप्त की जाएगी। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के लाभार्थियों की किसान आईडी प्राथमिकता के आधार पर बनाई जाएगी। ये हैं जरूरी दस्तावेज किसान रजिस्ट्री में प्रत्येक खाताधारक का खसरा, मोबाइल नंबर, आधार नंबर, ई-केवाईसी विवरण दर्ज किया जाएगा। भूमि अभिलेखों में परिवर्तन होने पर किसान रजिस्ट्री में जानकारी अपने आप अपडेट हो जाएगी। डिजिटल फसल सर्वेक्षण के लिए चिन्हित स्थानीय युवाओं द्वारा किसान रजिस्ट्री बनाने का कार्य अभियान के रूप में किया जाएगा, इसके लिए स्थानीय युवाओं को आधार से जुड़े बैंक खाते में राशि का भुगतान किया जाएगा।

डिजिटल फसल सर्वेक्षण में, प्रत्येक खसरे में दर्ज फसल की जानकारी समेकित रूप में उपलब्ध होगी। कॉमन सर्विस सेंटर के माध्यम से भू-स्वामी द्वारा निर्धारित शुल्क का भुगतान करके किसान रजिस्ट्री बनाई जा सकती है।